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- Dec 12, 2024
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ही दोस्तों मैं निशा. आज मैं आप सब के लिए मेरे ससुरजी की कहानी का पार्ट २ लेकर आयी हु.ससुरजी स्टोरी undefined १ (जीजा-साली) कॉन्टिनोएड.३:३० पं के आस पास पापाजी एक्सहिबिशन से लौट कर घर पोहच गए.मासी ने दरवाज़ा खोला वह एक येलो कलर पॉलिएस्टर साड़ी और एक छोटासा रेड ब्लाउज जो उनका कोई अमूल्य हिस्सा टिक से नहीं छुपा प् रहा था पहन के कड़ी थी.मासी: “जल्दी आ गए आप ख़तम हो गया क्या आज का प्रोग्राम?”पापाजी: “हाँ आज जल्दी ख़तम कर दिया.”मासी: ”आप आज सुबह अपने अंडरवियर का साइज बताना भूल गए. मैंने मार्किट से मेरे अनुमान के हिसाब से एक अंडरवियर लाया है आप तरय कर लीजिये.”पापाजी: “थैंक यू प्रभा. मैं तरय कर लेता हु.”पापाजी की हालत ख़राब थी वह दुविधा में फस गए थे. एक तरफ उनको मासी से दूर रहना था और दूसरी तरफ मासी एकदम सेक्सी अवतार में अपने गदरायी रसीली बदन से उन्हें ललचा रही थी.मासी ने चाय बनायीं और दोनों चाय लेकर टीवी के सामने न्यूज़ देकते बैत गए.बातें बांध थी लिविंग हॉल में सिर्फ टीवी का साउंड था. पापाजी थोड़े निराश थे की सुबह उन्होंने आवाज़ चढ़ाकर बात की.पापाजी: “मुझे सुबह इतना चिल्लाना नहीं चाहिए था. मैं रात की बातों को लेके टेंशन में था इसलिए चिल्ला पड़ा. सॉरी.”मासी: “आपके जाने के बाद मैंने भी काफी सोचा. गलती मेरी ही है. मैं कुछ ज्यादा ही खुल गयी थी आपके सामने कल रात को. आप मेरे दीदी के पति है ये बात मैं भूल गयी थी.”पापाजी: ”नहीं प्रभा. मैं भी बिना कुछ सोचे समझे बातें कर रहा था. मैं कही ौरातून के सात मुँह मरता हु यह बात मुझे तुमसे नहीं केहनी चाहिए थी.”मासी: “नहीं जीजू आपने जब बताया की आपकी ज़रूरतें ज्यादा है और दीदी उससे पूरी नहीं करती इसलिए आप उसकी तलाश में बहार निकल जाते है तोह आपकी वह सिचुएशन मैं पूरी तरह समाज सकती हु.”पापाजी: “वह कैसे प्रभा?”मासी: “मैंने यह बात किसी को नहीं बताई. मेरी २० साल की शादी में दिनेश ने मुझे कभी सटिस्फीएड नहीं किया.”“महीने में १-२ बार से ज्यादा दिनेश ने मेन को मासी के मुँह के अंदर घुसा दिया और उनके मुँह का कोना कोना अपनी जुबां से नापने लगे. मासी काम-उत्तेजना में पागल पापाजी की गोद में बैठकर अपनी बड़ी मोती गांड पापाजी के लुंड पर उछाल उछाल के घिस रही थी.पापाजी का लुंड अब इतना तन के खड़ा हो चूका था की कपडे पहाड़ कर मासी की गांड में घुस जायेगा.वह दोनों गड़बड़ी में उत्ते और एक दुसरे के कपडे उतरने लगे पापाजी ने मासी की ब्लाउज को जोर के खींच कर पहाड़ दिए और उनके ब्रा का हुक तोड़कर ब्रा को उतारकर फ़ेंक दिया.मासी ने भी खींच खींच के पापाजी की पंत और अंडरवियर निचे उतर दी और उनका लुंड अपने दोनों हाथों में लेकर रगड़ने और मसलने लगी.पापाजी अब मासी के बड़े बड़े चुचो में अपना चेहरा घुसा रहे थे और एक एक बूब को बड़ी तीव्रता से चूस रहे थे.मासी अपने दोनों हाथों से लुंड को दोबोचकर दुनिया की परवा न करते हुए ज़ोर ज़ोर से “आह… ाआअह… ऊऊह्ह्ह… वोओओओ…” की आवजो से कमरे को भर रही थी.अब पापाजी ने मासी की साड़ी उतर कर फ़ेंक दी और उनके पेटीकोट के नदी को खींच कर खोल दिया. पेटीकोट अब ज़मीन पर पड़ी थी और मासी सिर्फ अपने सफ़ेद फूलो वाली पंतय में.पंतय का छूट वाला हिस्सा इतना गीला था जैसे बारिश में भीगा हो. पापाजी ने मासी को अपने दोनों हाथों में उठाया और बैडरूम में अपने बीएड पर पटक दिया और कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया.अब पापाजी से रहा नहीं जा रहा था. उनको अपनी गदरायी रसीली साली के छूट के दर्शन करने थे.उन्होंने धीरे धीरे मासी की सफ़ेद गीली चांदी उतर दी. अब उनके आंखों के सामने वह वर्जित फूल था जो उन्होंने कभी न देखने का निर्णय लिया था.मासी की छूट गोरी और गुलाबी थी छूट की दो पंखुडिया फैन के हवे से फड़फड़ा रही थी. मासी की नाभि एकदम गोल और गहरी थी.मासी की छूट क्लीन शवेद थी छूट के ऊपर के थोड़े से हिस्से के बाल मासी ने स्टाइल के लिए रखा था.इतनी क्लीन छूट पापाजी ने पहले बार देखि थी वह दुविधा में थे की पहली इसकी नाभि में जीब घुसवु या इसके बहती छूट में.पापाजी नाभि पर टूट पड़े और मासी की नाभि के चारो तरफ अपने जुबान से चाटने लगे और अपना जीब नाभि के अंदर घुसाने लगे.इस सब के दौरान मासी अपने जीवन का सबसे हसीं सेक्स का आनंद उठता रही थी. पापाजी अब मासी के निप्पल को चूसने लगे थे और ऊँगली छूट में चलने लगे थे.एक एक करके पापाजी ने दोनों निप्पल को इतना चूसा की निप्पल पे अब झुरिया आ गयी थी.अब बारी छूट चटाई की थी. पापाजी अपनी जुबान को मासी के छूट के ऊपर निचे चला चला कर चाट रहे थे. फिर उन्होंने अपना पूरा मुँह छूट पर रखा और ज़ोर ज़ोर से छूट का पानी चूस चूस कर पीने लगे.मासी अब एक नदी से निकले हुए मछली की तरह तड़प रही थी. मासी एक नहीं दो नहीं तीन बार झाड़ चुकी थी.अब मासी और पापाजी ६९ की पोजीशन में आ गए मासी ऊपर और पापाजी निचे. मासी पापाजी का लुंड चूस चूस कर उनको काम सुख दे रही थी. पापाजी भी बड़े शौक और प्यार से मासी की छूट का रास चक रहे थे.दोनों कुछ हद तक काम उत्तेजना से बहार आये. तब उनकी नज़र घडी पर पड़ी. ६:१५ बज रहे थे दिनेश के आने का वक़्त हो गया था.पापाजी और मासी ने एक दुसरे को नज़रो से इशारा किया की अभी चुदाई नहीं हो पायेगी कल का इंतज़ार करना पड़ेगा. दोनों सफाई कर के दिनेश के आने का इंतज़ार करने लगे. पापाजी ने लुंगी और टी-शर्ट पहन लिया और मासी अपना निघ्त्य पहनकर आगयी.दिनेश ने आते ही हाथ मुँह धोकर कल वाली बची बोतल निकला ली और पापाजी को एक पेग लगाने का निमंत्रण देने लगे.पापाजी: “नहीं दिनेश. आज तुम अकेले ही मारो मेरी इच्छा नहीं है.”दिनेश मासा ने एक पेग भर ली और मासी को आवाज़ लगाया स्नैक्स के लिए.जब मासी ने देखा की दिनेश दारू पी रहा है उससे एक अवसर दिखा उसमे. उसने पापाजी के कान में फुसफुसाया.मासी: “जीजू अगर दिनेश पीकर होश गवा देता है तोह हमे कल तक रुकने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. आज ही आप मेरी छूट पहाड़ सकते है.”दिनेश मासा: “क्या सीक्रेट बातें हो रही है जीजा-साली में?”पापाजी: “(ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए) अरे कुछ नहीं दिनेश. यह तुम्हारी बीवी तुम्हारा माज़क उदा रही है. प्रभा कहती हैई ‘मेरा पति खुद तोह दो पेग में भाग जाता है और जबरदस्ती दुनिया वालो को पीने का न्योता देता रहता है'”दिनेश मासा: “ाचा!? ऐसी बात है? फिर तोह आज ये बोतल ख़तम करके ही रहूँगा.”दिनेश मासा पेग भर भर के पीने लगे और पापाजी और मासी एक दुसरे को नॉटी सिले दे रहे थे.कुछ देर बाद दोनों ने दिनेश मासा के साथ बैत कर खाना खाया जबकि मासा अब भी मासी को हारने के लिए पेग लगते जा रहे थे.बोतल ख़तम होने के साथ साथ मासा का होश भी ख़तम हो गया.दिनेश मासा: “(नशे दे धुत) अब बोलो कौन भागा दो पेग के बाद? चलो भैया गुड नाईट. मैं चला सोने.”मासी: “अरे खाना तोह खा लो?“दिनेश मासा: “(एकदम नशे में) नहीं चाहिए तुम्हारा बकवास खाना.”दिनेश मासा दारू के नशे में एकदम धुत होकर बीएड पद जेक बेहोश सो गए.पापाजी अपने कमरे में चले गए और मासी को सब ख़तम करके आने का इशारा किया. दिनेश मासा की खरातो की आवाज़ पापाजी के कमरे तक आ रही थी.पापाजी की बेचैनी उन्हें कमरे में बैठने नहीं दे रही थी. वह उठकर किचन में पोहच गए. वह मासी अपने सेक्सी निघ्त्य में गांड हिला हिला कर बर्तन मांज रही थी.पापाजी मासी के पीछे पोहचे और उनके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे और उनकी गांड पे अपना खड़ा लुंड घिसने लगे.मासी ने बर्तन छोड़ दिया और पापाजी की इस हरकत का पूरा सयोग देने लगी. पापाजी चुचू को मसलते मसलते मासी के कपड़ो के ऊपर से ही अपनी कमर चला चला कर उनकी गांड मर रहे थे.इस पुरे हरकत की हिम्मत उन्हें मासा के खरातून से आ रही थी. वह जानते थे मासा अभी फ़िलहाल ‘आउट ऑफ़ आर्डर’ है.पापाजी ने मासी और अपने कपड़े उतर दिए. अब दोनों किचन में नंगे खड़े थे.मासी ने अपनी लेफ्ट वाली तंग उठाकर किचन प्लेटफार्म पर रख दी और अपनी गांड उभाड़ कर पापाजी के किंग कोबरा को अपनी छूट में आने का निमंत्रण देने लगी.मासी: “जीजू ज़रा थूंक लगा कर लेना. बोहत दिनों से सिर्फ मेरी ऊँगली गयी है अंदर.”पापाजी ने अपने हाथ में थूंके और मासी की छूट पर थूंक मालिश करने लगे. १ मिनट की मालिश के बाद मासी की छूट एकदम गीली होगय.पापाजी निचे घुटनो पे बैत गए और मासी की छूट पीछे से चाटने लगे और अपनी एक ऊँगली मासी की गांड में घुसा दी और ऊँगली मासी की गांड में अंदर बहार करते करते उनकी छूट को ज़ोर से चूसने और चाटने लगे.कुछ देर बाद पापाजी को लगा की ‘अब वक़्त आगया है.‘ उन्होंने अपना महाकाय लुंड धीरे धीरे मासी की छूट में घुसना शुरू किया.मासी उत्तेजना से बेहाल थी. उन्होंने किचन को अपनी ‘ोोूहः… ाः… सस्शह्ह्ह… एस्सस… जिजुओ… प्लीज…’ इन आवाज़ों से भर दिया. पापाजी भी मासी के आनंद-विलाप का मज़ा लेते हुए उनकी छूट में अपना लुंड धीरे धीरे चलने लगे.दोनों को एक दुसरे के पार्टी जो छुडासी (चुदाई न होने की उदासी) थी उससे मुक्ति मिल रही थी. मासी और पापाजी मदहोश होकर चुदाई का आनंद उठता रहे थे.कुछ देर बाद मासी किचन प्लेटफार्म पर चढ़ के बैत गयी और अपनी टंगे फैला कर तैयार होगयी. पापाजी ने मासी के दोनों टैंगो को अपने खंड पे लड़ दिया और अपना लुंड उनकी छूट में आधा घुसा कर चुदाई शुरू कर दी.धीरे धीरे चुड़ते चुड़ते पापाजी ने एक झटके मरकर अपना पूरा लुंड मासी की छूट में घुसाद दिया. मासी के मुँह से एक ज़ोरदार ‘आअह्ह्ह’ निकल गयी. आवाज़ इतनी ज़ोरदार थी मासा के खरातून की आवाज़ बांध हो गयी.पापाजी थोड़ा भोकला गए. पापाजी ने झट से अपनी लुंगी पहनी और धीरे धीरे मासा के रूम की ओर बढ़ने लगे. चुपके देखा तोह मासा अभी भी गहरी नींद में है.मासी: “क्या हुआ? क्यों रुख गए?”पापाजी: “दिनेश की खार्तून की आवाज़ बांध होगयी. तोह मुझे लगा वह उत् गया शायद.”मासी: “उत्ते तोह उत्ते देखे तोह देखे. आप मेरी चुदाई बांध मत कीजिये आपको पता नहीं इस लुंड को अपने छूट में लेने के लिए मैं कितने सालो से बेकरार थी.”यह सुनते ही पापाजी का लुंड और टाइट होगया. उन्होंने मासी को अपनी और खींचा और उनके होठों को चूस चूस के किश करने लगे.पापाजी मासी का हाथ पकड़कर उन्हें अपने कमरे में ले गए और बिस्तर पर फ़ेंक दिया और दरवाज़ा बांध कर दिया.पापाजी ने मासी को किश करते करते उनकी छूट में अपना लुंड एक बड़े झटके के साथ घुसा दिया. आज तक किसी भी लुंड ने मासी के छूट की इतनी गहरायी नहीं नापी थी. मासी की चीक पापाजी के किश की वजह से उनके मुँह में ही फस में बोहत कोशिश के बाद भी नहीं घुसा. तोह वह सपना उन दोनों का अधूरा रह गया.पापाजी के वापस नाशिक आने के बाद अम्माजी ने मासी को फ़ोन लगाया.अम्माजी: “अरे प्रभा. मुझे लगा तू अपने जीजाजी को स्वादिस्ट खाना और पकवान खिलाकर खुश रखेगी. यह तोह तूने उनका वजन १-२ किलो घटा दिए.”मासी: “अरे दीदी. मैंने तोह उन्हें सब कुछ खिलाया और रोज खिलाया. भले ही उनका वजन घाट गया होगा. उनका मैं तृप्त है पूछ लेना आप उनसे.”पापाजी कहते है साल में एक बार तोह वह कुछ न कुछ बहाना बनके वीकडे पे मुंबई निकल जाते है और मासी का छूट की खुदाई करके आते है.