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मेरी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मैं अपने कोलीग रोशन का लंड देख कर इंप्रेस हो गयी, और अपनी छूट में उंगली की. फिर रात ऐसे ही निकल गयी. अब आयेज-
अगले दिन मैने जान-बूझ कर सलवार सूट डाला और स्कूल चली गयी. पर स्कूल आ कर कपड़े उतारने की हिम्मत ही नही हुई, और उसका लंड ही देखती रही. दोपहर तक मेरी छूट में इतना पानी भर गया की टाय्लेट जेया कर अपने को शांत करना पड़ा. जब रिसेस की बेल हुई, तो वो बिल्कुल पास था, और मैं काम करने के बहाने उसका लंड ही देखती रही. मेरे कुर्ते पर बहुत मिट्टी लग गयी थी, पहले तो उसे सॉफ किया.
हमने लंच साथ में किया, और इधर-उधर की बातें करते रहे. रिसेस के बाद जब हम वापस आए, तो मैने हिम्मत करके अपने कुर्ता उतार दिया. नीचे ब्रा डाली थी, पर रोशन का मूह खुला रह गया मेरी 34द की चुचियाँ देख कर. पर उसने कहा कुछ नही और कोई हरकत नही की.
हम दोनो ने चुप-छाप अपना काम किया, और छुट्टी के टाइम ही एक-दूसरे के सामने आए. उसके लंड में कोई उफान नही था, और मैं अपने पर गुस्सा हो रही थी की मेरी ब्रा में क़ास्सी हुई चुचियाँ देख कर भी उसका लंड खड़ा नही हुआ. अब मेरा पूरा ध्यान उसका खड़ा लंड देखने पर लगा था.
उस दिन भी मैने पति के साथ बहुत देर तक बात करी, और उसे समझाया की मुझे उसकी ज़रूरत थी, और वो आ जाए. पर उसने बड़े प्यार से समझा-बुझा कर मुझे सुला दिया.
अगले दिन भी मैने सलवार सूट डाला, और अपनी मॅन-पसंद लाइनाये सेट डाल कर गयी. उस दिन हम दोनो एक साथ एंटर किए, और अपने कपड़े उतारने लगे. वो पहले उतार लेता था, पर वो जान-बूझ कर रुक रहा था. मैं अपनी कुर्ता उतरी, और सलवार का नडा खोलने लगी.
उसके लंड में तोड़ा सा उफान था. फिर मैने पता नही कैसे हिम्मत की, और सलवार उतार कर चेर पर रखी. उसके बाद बिना पीछे मुड़े अपनी रॅक पर चली गयी, क्यूंकी उसकी नज़रों से नज़रें मिलने की हिम्मत नही थी मुझमे.
थोड़ी देर में मैने पीछे मूड कर देखा तो वो अपने काम में लगा था. अब तो मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था और अपने को कोस रही थी की ये क्यूँ किया. रिसेस की बेल हुई, तो मैं तोड़ा रुकी. वो आया और जब अपने कपड़े पहन ही रहा था, की मैं जान-बूझ कर इस तरह आई की वो मुझे पूरा देख सके. मैं उसकी नज़रों का पीछा कर रही थी. उसने उपर से नीचे तक मुझे देखा और घूरता ही रहा. उसके हाथ रुक गये थे.
मैं आई और अपनी सलवार उठा कर पहँनी शुरू किया. मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी. हे भगवान, वो तो खड़ा किए हुए लगा था, और कितना मोटा और लंबा होता जेया रहा था. मेरे भी हाथ रुक गये. मैं जान-बूझ कर इस तरह से झुकी की वो मेरी चुचियाँ और गांद दोनो देख सके. कुरती डालते हुए मैने देखा की उसने पंत पहन ली और अपना खड़ा लंड अड्जस्ट करने लगा. हमने उस दिन चुप-छाप लंच किया, और ज़्यादा बात नही की.
अगले दिन मैने जान-बूझ कर सलवार सूट डाला और स्कूल चली गयी. पर स्कूल आ कर कपड़े उतारने की हिम्मत ही नही हुई, और उसका लंड ही देखती रही. दोपहर तक मेरी छूट में इतना पानी भर गया की टाय्लेट जेया कर अपने को शांत करना पड़ा. जब रिसेस की बेल हुई, तो वो बिल्कुल पास था, और मैं काम करने के बहाने उसका लंड ही देखती रही. मेरे कुर्ते पर बहुत मिट्टी लग गयी थी, पहले तो उसे सॉफ किया.
हमने लंच साथ में किया, और इधर-उधर की बातें करते रहे. रिसेस के बाद जब हम वापस आए, तो मैने हिम्मत करके अपने कुर्ता उतार दिया. नीचे ब्रा डाली थी, पर रोशन का मूह खुला रह गया मेरी 34द की चुचियाँ देख कर. पर उसने कहा कुछ नही और कोई हरकत नही की.
हम दोनो ने चुप-छाप अपना काम किया, और छुट्टी के टाइम ही एक-दूसरे के सामने आए. उसके लंड में कोई उफान नही था, और मैं अपने पर गुस्सा हो रही थी की मेरी ब्रा में क़ास्सी हुई चुचियाँ देख कर भी उसका लंड खड़ा नही हुआ. अब मेरा पूरा ध्यान उसका खड़ा लंड देखने पर लगा था.
उस दिन भी मैने पति के साथ बहुत देर तक बात करी, और उसे समझाया की मुझे उसकी ज़रूरत थी, और वो आ जाए. पर उसने बड़े प्यार से समझा-बुझा कर मुझे सुला दिया.
अगले दिन भी मैने सलवार सूट डाला, और अपनी मॅन-पसंद लाइनाये सेट डाल कर गयी. उस दिन हम दोनो एक साथ एंटर किए, और अपने कपड़े उतारने लगे. वो पहले उतार लेता था, पर वो जान-बूझ कर रुक रहा था. मैं अपनी कुर्ता उतरी, और सलवार का नडा खोलने लगी.
उसके लंड में तोड़ा सा उफान था. फिर मैने पता नही कैसे हिम्मत की, और सलवार उतार कर चेर पर रखी. उसके बाद बिना पीछे मुड़े अपनी रॅक पर चली गयी, क्यूंकी उसकी नज़रों से नज़रें मिलने की हिम्मत नही थी मुझमे.
थोड़ी देर में मैने पीछे मूड कर देखा तो वो अपने काम में लगा था. अब तो मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था और अपने को कोस रही थी की ये क्यूँ किया. रिसेस की बेल हुई, तो मैं तोड़ा रुकी. वो आया और जब अपने कपड़े पहन ही रहा था, की मैं जान-बूझ कर इस तरह आई की वो मुझे पूरा देख सके. मैं उसकी नज़रों का पीछा कर रही थी. उसने उपर से नीचे तक मुझे देखा और घूरता ही रहा. उसके हाथ रुक गये थे.
मैं आई और अपनी सलवार उठा कर पहँनी शुरू किया. मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी. हे भगवान, वो तो खड़ा किए हुए लगा था, और कितना मोटा और लंबा होता जेया रहा था. मेरे भी हाथ रुक गये. मैं जान-बूझ कर इस तरह से झुकी की वो मेरी चुचियाँ और गांद दोनो देख सके. कुरती डालते हुए मैने देखा की उसने पंत पहन ली और अपना खड़ा लंड अड्जस्ट करने लगा. हमने उस दिन चुप-छाप लंच किया, और ज़्यादा बात नही की.