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- Dec 12, 2024
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दोस्तों मेरी सेक्स कहानी में आने का शुक्रिया. मैं बहुत दीनो से सोच रही थी की अपनी ज़िंदगी की कहानी लिखू. कम से कम ज़िंदगी के इस मोड़ पर आ कर तो पीछे मूड कर देखने का बहुत मॅन करता है. वो वक़्त और वो दौर कुछ अलग सा ही था.
कहाँ से शुरू करू कुछ समझ नही आता, पर हिम्मत शायद एक ही जगह से आई की कुछ तो ग़लत हुआ है जो ठीक करना चाहिए था.
मेरा नाम आस्था है, और मैं जाईपुर की रहने वाली हू. मेरी शादी एक आचे परिवार में हुई थी. ससुराल वाले आचे लोग है. पति का अपना बिज़्नेस है बंगलोरे में, और ज़्यादातर वो इंडिया से बाहर ही रहते है.
मैने डबल मा, ब.एड. और म.एड किया था शादी से पहले और मॅन था कुछ करने का. जाईपुर में ससुराल वालो का अछा नाम था तो गूव्ट जॉब मिल गयी टीचर की. सब अछा चल रहा था.
मैं अपनी जॉब से खुश थी. पति महीने में एक बार आते थे, और सब बड़े प्यार से रखते थे. 2014 में मोदी गूव्ट. आई और मेरा ट्रान्स्फर अलवर के पास एक गाओं के स्कूल में हो गया. छ्होटा स्कूल था, पर बहुत पुराना था. वहाँ हम 3 टीचर थे- मैं, रवि सिर आंड कुसुम मेडम.
कुसुम मेडम स्कूल प्रिन्सिपल थी आंड काफ़ी एज्ड थी. रवि सिर का ट्रान्स्फर हुआ था, पर रुका हुआ था. तभी स्वचता अभियान शुरू किया गया और डिगितलीज़त्िओं भी. सारे रेकॉर्ड्स कोमपुटेरिज़े करने के लिए दिए गये. हमारे स्कूल में भी कंप्यूटर आ गया. एक कंप्यूटर टीचर (प्रकाश) भी आ गया. वो अजमेर से था, और अभी-अभी नौकरी लगी थी. दिखने में अछा था, और बड़े प्यार से सब काम किया करता था.
सब अछा ही चल रहा था. तभी रवि सिर का ट्रान्स्फर हुआ, और उनकी जगह रोशन आ गया. वो नॅशनल प्लेयर था हॉकी का और गूव्ट जॉब भी उसे कोटा में हुई थी. 6 फुट 3 इंच की हाइट थी उसकी. उसके आने पर स्कूल में डिसिप्लिन आ गया बच्चो में. वो बहुत स्ट्रिक्ट था, पर हम लोगों के साथ ठीक था.
स्वचता अभियान का नोटीस आया हमारे स्कूल में, और स्कूल के रेकॉर्ड रूम की सफाई का काम कुसुम मेडम ने मुझे और रोशन को दिया. काफ़ी बड़ा और पुराना स्टोर रूम था वो. 50-60 साल का रेकॉर्ड था उस रूम में, और कब से बंद ही पड़ा था.
पहले तो उसकी सफाई करवाई बच्चो से और स्वीपर से. जाले लगे हुए थे, गंदगी थी, वो सब हटवा दी. फिर मैं और रोशन एक दिन लंच के बाद उस रूम को देखने के लिए गये. सारे रेकॉर्ड्स की लिस्ट बनाई और प्रकाश को बुला कर उससे डीटेल्स लेली, ताकि हम फिल करके उसे दे सके.
नेक्स्ट दे मैं जाईपुर से अपनी कार में जब निकली तभी मुझे अपने घर से फोन आ गया की मेरे मम्मी पापा आज आने वाले थे. मैने आ कर कुसुम मेडम और रोशन को बताया की आज तोड़ा जल्दी निकल जौंगी.
फिर बच्चो को क्लास में बिता कर मैं और रोशन रेकॉर्ड रूम में गये. मैने सारी डाली हुई थी उस दिन. हम दोनो ने अपने रॅक डिसाइड किए, और रेकॉर्ड्स को सीरियल वाइज़ लगाने लगे. उनमे से कुछ रेकॉर्ड्स उर्दू में थे, जो मुझे समझ नही आए. मैने रोशन को बुला कर पूछा तो उसको उर्दू आती थी. उसने मुझे गाइड कर दिया.
उस दिन मेरे कपड़े उन पुराने रोकॉर्ड्स की वजह से बहुत गंदे हो गये. रोशन का भी वही हाल था. हम दोनो के कपड़ों पर मिट्टी लगी थी. मैं उस दिन लंच में ही निकल गयी. घर आ कर सबसे पहले कपड़े चेंज किए और नहा कर आई. बाद में नोटीस किया, मेरी सारी एक जगह से फटत भी गयी थी. शायद किसी रॅक में फ़ासस कर ऐसा हुआ हो.
उस रात देर तक मम्मी पापा से बात करती रही, तो नेक्स्ट दे मैं तोड़ा लाते हो गयी. मैने देखा रोशन पहले से रेकॉर्ड रूम में चला गया था. मैं जल्दी-जल्दी भाग कर रेकॉर्ड रूम में आई, और आ कर अपने रॅक पर काम करना शुरू कर दिया. मैने अंदाज़ा लगाया रोशन अपने रॅक के पीछे ही था.
थोड़ी देर में मैने देखा की रोशन के कपड़े बाहर वाली चेर पर रखे थे. पीछे मूड कर देखा तो मैं देखती ही रह गयी. रोशन नंगा ही अपने रॅक पर काम कर रहा था. पूरा तो नही नज़र आया, पर समझ आ गया को वो नंगा ही था. उसने मेरी तरफ देखा भी नही.
मैं भी चुप-छाप अपना काम करती रही. हम दोनो ने कोई बात नही की. रिसेस की बेल बाजी तो मैं पहले निकल गयी. कुसुम मेडम के पास जेया कर अपना लंच शुरू किया. रोशन भी आ गया और लंच करने लगा.
नॉर्मल बातें चलती रही. फिर जब हम वापस जा रहे थे, तो रोशन ने कहा की कल उसके कपड़े खराब हो गये थे, और वो अकेला रहता था, तो घर पर कोई सॉफ करने वाला भी नही था. इसलिए उसने सोचा कपड़े उतार कर काम करता हू, ताकि कपड़े खराब ना हो.
उसने मुझसे पूछा की मुझे कोई प्राब्लम तो नही थी. मैने उसे कोई ऑब्जेक्षन नही किया. उसका आइडिया मुझे भी अछा लगा क्यूंकी मेरी सारी फटत गयी थी, तो मैने अपनी सारी उतार दी. मैं ब्लाउस और पेटिकोट में ही काम करने लगी. उसका रॅक अलग था और मेरा अलग, तो हम दोनो को कोई प्राब्लम नही हुई. उसने कोई गंदी हरकत नही की, और मेरी तरफ देखा तक नही.
नेक्स्ट दे हम दोनो एक साथ गये. मैं सारी उतार रही थी, और वो अपने कपड़े उतार कर चेर पर रख रहा था. मुझे सारी उतरने में तोड़ा टाइम लगता है, और वो अपनी शर्ट पंत उतार कर चला गया. जब वो जेया रहा था, तो मैने देखा उसने अंडरवेर भी नही डाला था, और बिल्कुल नंगा था. मैं उसके चूतड़ देख रही थी जो की काफ़ी काससे हुए थे.
फिर वो और मैं अपने काम में लग गये. रिसेस की बेल हुई तो मैं जल्दी से सारी पहन रही थी, तभी रोशन आ गया. उसका लंड बहुत बड़ा था. इतना बड़ा लंड मैने कभी नही देखा था. बैठा हुआ भी कम से कम 6 इंच का था. मैने देख कर मूह फेर लिया.
रोशन ने बोला: सॉरी मेडम, हमारे यहाँ अंडरवेर नही डालते, पर आप चिंता ना करे, मैं आपको कोई प्राब्लम नही दूँगा.
लंच के बाद हम दोनो आए, और इस बार ना जाने क्यूँ मैं जान-बूझ कर सारी उतारने में तोड़ा लाते की, क्यूंकी मैं रोशन का लंड देखना चाहती थी. उसने जब कपड़े उतरे, तो मैं कनखियों से उसका लंड देख रही थी. उफ़फ्फ़ कितना बड़ा और मोटा था.
मेरे पति का खड़ा हो कर भी सिर्फ़ 6 इंच का था, और उसका तो बैठा हुआ ही इतना बड़ा था. उस दिन मैं चोरी-चोरी उसका लंड देखने की कोशिश करती रही, पर इतनी डोर से कुछ सॉफ नही दिखाई दिया.
छुट्टी में जाते हुए थोड़ी देर तक देखती रही. कार चलते हुए भी मैं उसके लंड को ही सोच रही थी. घर आ कर पहले तो ठंडे पानी का शवर लिया. मेरी छूट पूरी गीली थी. बहुत देर तक उसके लंड को सोच कर उंगली करती रही.
रात को पति को फोन किया की वो आ जाए. पति ने कहा की इस मंत नही क्यूंकी उन्हे हॉंगकॉंग जाना था एक बिज़्नेस ट्रिप पर. मैं उनसे क्या कहती? फिर पूरी रात ऐसे ही निकल गयी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो इस सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा.
कहाँ से शुरू करू कुछ समझ नही आता, पर हिम्मत शायद एक ही जगह से आई की कुछ तो ग़लत हुआ है जो ठीक करना चाहिए था.
मेरा नाम आस्था है, और मैं जाईपुर की रहने वाली हू. मेरी शादी एक आचे परिवार में हुई थी. ससुराल वाले आचे लोग है. पति का अपना बिज़्नेस है बंगलोरे में, और ज़्यादातर वो इंडिया से बाहर ही रहते है.
मैने डबल मा, ब.एड. और म.एड किया था शादी से पहले और मॅन था कुछ करने का. जाईपुर में ससुराल वालो का अछा नाम था तो गूव्ट जॉब मिल गयी टीचर की. सब अछा चल रहा था.
मैं अपनी जॉब से खुश थी. पति महीने में एक बार आते थे, और सब बड़े प्यार से रखते थे. 2014 में मोदी गूव्ट. आई और मेरा ट्रान्स्फर अलवर के पास एक गाओं के स्कूल में हो गया. छ्होटा स्कूल था, पर बहुत पुराना था. वहाँ हम 3 टीचर थे- मैं, रवि सिर आंड कुसुम मेडम.
कुसुम मेडम स्कूल प्रिन्सिपल थी आंड काफ़ी एज्ड थी. रवि सिर का ट्रान्स्फर हुआ था, पर रुका हुआ था. तभी स्वचता अभियान शुरू किया गया और डिगितलीज़त्िओं भी. सारे रेकॉर्ड्स कोमपुटेरिज़े करने के लिए दिए गये. हमारे स्कूल में भी कंप्यूटर आ गया. एक कंप्यूटर टीचर (प्रकाश) भी आ गया. वो अजमेर से था, और अभी-अभी नौकरी लगी थी. दिखने में अछा था, और बड़े प्यार से सब काम किया करता था.
सब अछा ही चल रहा था. तभी रवि सिर का ट्रान्स्फर हुआ, और उनकी जगह रोशन आ गया. वो नॅशनल प्लेयर था हॉकी का और गूव्ट जॉब भी उसे कोटा में हुई थी. 6 फुट 3 इंच की हाइट थी उसकी. उसके आने पर स्कूल में डिसिप्लिन आ गया बच्चो में. वो बहुत स्ट्रिक्ट था, पर हम लोगों के साथ ठीक था.
स्वचता अभियान का नोटीस आया हमारे स्कूल में, और स्कूल के रेकॉर्ड रूम की सफाई का काम कुसुम मेडम ने मुझे और रोशन को दिया. काफ़ी बड़ा और पुराना स्टोर रूम था वो. 50-60 साल का रेकॉर्ड था उस रूम में, और कब से बंद ही पड़ा था.
पहले तो उसकी सफाई करवाई बच्चो से और स्वीपर से. जाले लगे हुए थे, गंदगी थी, वो सब हटवा दी. फिर मैं और रोशन एक दिन लंच के बाद उस रूम को देखने के लिए गये. सारे रेकॉर्ड्स की लिस्ट बनाई और प्रकाश को बुला कर उससे डीटेल्स लेली, ताकि हम फिल करके उसे दे सके.
नेक्स्ट दे मैं जाईपुर से अपनी कार में जब निकली तभी मुझे अपने घर से फोन आ गया की मेरे मम्मी पापा आज आने वाले थे. मैने आ कर कुसुम मेडम और रोशन को बताया की आज तोड़ा जल्दी निकल जौंगी.
फिर बच्चो को क्लास में बिता कर मैं और रोशन रेकॉर्ड रूम में गये. मैने सारी डाली हुई थी उस दिन. हम दोनो ने अपने रॅक डिसाइड किए, और रेकॉर्ड्स को सीरियल वाइज़ लगाने लगे. उनमे से कुछ रेकॉर्ड्स उर्दू में थे, जो मुझे समझ नही आए. मैने रोशन को बुला कर पूछा तो उसको उर्दू आती थी. उसने मुझे गाइड कर दिया.
उस दिन मेरे कपड़े उन पुराने रोकॉर्ड्स की वजह से बहुत गंदे हो गये. रोशन का भी वही हाल था. हम दोनो के कपड़ों पर मिट्टी लगी थी. मैं उस दिन लंच में ही निकल गयी. घर आ कर सबसे पहले कपड़े चेंज किए और नहा कर आई. बाद में नोटीस किया, मेरी सारी एक जगह से फटत भी गयी थी. शायद किसी रॅक में फ़ासस कर ऐसा हुआ हो.
उस रात देर तक मम्मी पापा से बात करती रही, तो नेक्स्ट दे मैं तोड़ा लाते हो गयी. मैने देखा रोशन पहले से रेकॉर्ड रूम में चला गया था. मैं जल्दी-जल्दी भाग कर रेकॉर्ड रूम में आई, और आ कर अपने रॅक पर काम करना शुरू कर दिया. मैने अंदाज़ा लगाया रोशन अपने रॅक के पीछे ही था.
थोड़ी देर में मैने देखा की रोशन के कपड़े बाहर वाली चेर पर रखे थे. पीछे मूड कर देखा तो मैं देखती ही रह गयी. रोशन नंगा ही अपने रॅक पर काम कर रहा था. पूरा तो नही नज़र आया, पर समझ आ गया को वो नंगा ही था. उसने मेरी तरफ देखा भी नही.
मैं भी चुप-छाप अपना काम करती रही. हम दोनो ने कोई बात नही की. रिसेस की बेल बाजी तो मैं पहले निकल गयी. कुसुम मेडम के पास जेया कर अपना लंच शुरू किया. रोशन भी आ गया और लंच करने लगा.
नॉर्मल बातें चलती रही. फिर जब हम वापस जा रहे थे, तो रोशन ने कहा की कल उसके कपड़े खराब हो गये थे, और वो अकेला रहता था, तो घर पर कोई सॉफ करने वाला भी नही था. इसलिए उसने सोचा कपड़े उतार कर काम करता हू, ताकि कपड़े खराब ना हो.
उसने मुझसे पूछा की मुझे कोई प्राब्लम तो नही थी. मैने उसे कोई ऑब्जेक्षन नही किया. उसका आइडिया मुझे भी अछा लगा क्यूंकी मेरी सारी फटत गयी थी, तो मैने अपनी सारी उतार दी. मैं ब्लाउस और पेटिकोट में ही काम करने लगी. उसका रॅक अलग था और मेरा अलग, तो हम दोनो को कोई प्राब्लम नही हुई. उसने कोई गंदी हरकत नही की, और मेरी तरफ देखा तक नही.
नेक्स्ट दे हम दोनो एक साथ गये. मैं सारी उतार रही थी, और वो अपने कपड़े उतार कर चेर पर रख रहा था. मुझे सारी उतरने में तोड़ा टाइम लगता है, और वो अपनी शर्ट पंत उतार कर चला गया. जब वो जेया रहा था, तो मैने देखा उसने अंडरवेर भी नही डाला था, और बिल्कुल नंगा था. मैं उसके चूतड़ देख रही थी जो की काफ़ी काससे हुए थे.
फिर वो और मैं अपने काम में लग गये. रिसेस की बेल हुई तो मैं जल्दी से सारी पहन रही थी, तभी रोशन आ गया. उसका लंड बहुत बड़ा था. इतना बड़ा लंड मैने कभी नही देखा था. बैठा हुआ भी कम से कम 6 इंच का था. मैने देख कर मूह फेर लिया.
रोशन ने बोला: सॉरी मेडम, हमारे यहाँ अंडरवेर नही डालते, पर आप चिंता ना करे, मैं आपको कोई प्राब्लम नही दूँगा.
लंच के बाद हम दोनो आए, और इस बार ना जाने क्यूँ मैं जान-बूझ कर सारी उतारने में तोड़ा लाते की, क्यूंकी मैं रोशन का लंड देखना चाहती थी. उसने जब कपड़े उतरे, तो मैं कनखियों से उसका लंड देख रही थी. उफ़फ्फ़ कितना बड़ा और मोटा था.
मेरे पति का खड़ा हो कर भी सिर्फ़ 6 इंच का था, और उसका तो बैठा हुआ ही इतना बड़ा था. उस दिन मैं चोरी-चोरी उसका लंड देखने की कोशिश करती रही, पर इतनी डोर से कुछ सॉफ नही दिखाई दिया.
छुट्टी में जाते हुए थोड़ी देर तक देखती रही. कार चलते हुए भी मैं उसके लंड को ही सोच रही थी. घर आ कर पहले तो ठंडे पानी का शवर लिया. मेरी छूट पूरी गीली थी. बहुत देर तक उसके लंड को सोच कर उंगली करती रही.
रात को पति को फोन किया की वो आ जाए. पति ने कहा की इस मंत नही क्यूंकी उन्हे हॉंगकॉंग जाना था एक बिज़्नेस ट्रिप पर. मैं उनसे क्या कहती? फिर पूरी रात ऐसे ही निकल गयी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो इस सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा.