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- Dec 12, 2024
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मेरा नाम साहिल है. ये सेक्स स्टोरी मुझे किसी ने मैल की थी. तो मैं आप लोगों के लिए ये स्टोरी लेके आया हू. ई होप आप सब को पसंद आएगी.
मैं अपने बारे में बता डू. मेरा नाम साहिल है. मैं महाराष्ट्रा के अमरावती का रहने वाला हू. मेरी आगे 23 है. दिखने में आवरेज हू. अब आते है स्टोरी पर, जो की है रवि की ज़ुबानी-
मेरा नाम है रवि. ये कहानी मेरी और मेरे बेहन की है, जो मुझसे 1 साल छ्होटी है. वो मेरे चाचा की बेटी है. मेरी फॅमिली जॉइंट फॅमिली है, तो सब साथ रहते है. ये कहानी शुरू हुई आज से 3 महीने पहले.
मैं रवि हटता-कटता हू. जिम जाता हू, और मेरी आगे 21 है. मेरी बेहन का नाम है प्रांची. वो मुझसे 1 साल छ्होटी है.
प्रांची को डॉक्टर बनना है, तो उसके नीत के एग्ज़ॅम्स थे हमारे घर से डोर औरंगाबाद में. वो अकेली नही जेया सकती थी, इसलिए सब लोगों ने मुझे बोला की उसके साथ जेया क्यूंकी मैं घर में सबसे ज़्यादा चर्चित हू.
उसका एग्ज़ॅम था तो हमने जल्दी-जल्दी समान पॅक किया, और रात में ही औरंगाबाद के लिए निकल गये. क्यूंकी अगले दिन उसका 12 बजे से एग्ज़ॅम था. हम लोग ट्रॅवेल्ज़ से जेया रहे थे स्लीपर से. 10 बजे बस निकल गयी. वो मुझे मेरे नाम से ही बुलाती थी. हम दोनो बहुत फ्री थे आपस में. वो और मैं सब शेर करते थे.
वो बोली: रवि अछा हुआ हम आज ही निकल गये. सुबा तक कॉलेज भी मिल जाएगा, और एग्ज़ॅम में लाते नही होगा.
मैने हा कहा. हम दोनो अपने-अपने फोन में लगे हुए थे. अभी बस कुछ 50 केयेम ही निकली होगी, की उसको बहुत ज़ोर की बातरूम लगी. वो अनकंफर्टबल होने लगी.
मैने पूछा: क्या हुआ?
उसने बोला: बहुत ज़ोर से सस्यू आई है मुझे.
मैने उसको बोला: अभी तो निकली है गाड़ी. इतनी जल्दी आ गयी तुझे? कंट्रोल कर, आयेज रुकेंगे तो कर लेना.
वो ह्म बोल के चुप हो गयी, बुत उससे कंट्रोल नही हो पा रहा था. वो बेचैन होने लगी. मुझसे देखा नही गया, तो मैने सोचा अब क्या करू. मुझे भी कुछ समझ नही आ रहा था. तभी गाड़ी स्लो हुई. मैं उतार के गया तो ड्राइवर के पास जाके पूछा.
वो बोला: आयेज चेकिंग चल रही है.
मैने सोचा अछा मौका है. फिर मैने प्रांची को आवाज़ दी, और ड्राइवर को बोला-
मैं: मुझे बातरूम आई है. 2 मिनिट में आ जाता हू.
फिर मैं और प्रांची रोड की साइड में अंधेरा जैसा था, वहाँ चले गये.
मैने उसको बोला: जल्दी कर ले.
वो बोली: ठीक है.
फिर उसने मेरे ही सामने अपनी लोवर नीचे कर दी. उसके बाद जैसे ही वो झुकी, उसकी गोल-गोल गांद मुझे नज़र आ गयी. मेरी तो सिट्टी-पिटी गुल हो गयी. उसकी गांद इतनी खूबसूरत लग रही थी, जैसे की संगेमरमर के पुतले की हो. मैं वहीं जाम गया, और वो मूतने लगी.
उसके मूतने की आवाज़ मेरे कानो में पद रही थी सुरर-सुरर. मैं आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा, पर अपने आप को संभाला. वो जब खड़ी हुई, फिर से उसकी गांद मुझे दिख गयी. उसको तो जैसे कोई फराक ही नही पड़ा मुझे गांद दिखा के.
वो पलटी और बोली: हााह, अब ठीक है. चल अब.
मैं एक-दूं सुन हो गया था.
वो फिर बोली: चल ना.
मैं होश में आया, और उसके साथ चला गया. हम दोनो बस में जेया कर बैठ गये. अब मेरे मॅन में बस प्रांची की चिकनी गांद घूम रही थी. मैने उसपे नज़र डाली, तो मेरी उसके बूब्स पे नज़र गयी. बड़े-बड़े बूब्स, मेरे मूह में तो जैसे पानी ही आ रहा था. मैने सोचा अब तो कुछ करना पड़ेगा.
फिर मैं उससे बातें करने लगा. वो और मैं बहुत फ्रॅंक थे. हमारी रिलेशन्षिप टॉपिक पर बात होने लगी. उसको मेरी गफ़ के बारे में पता था, और ये भी पता था की मेरा ब्रेक उप हुआ था.
तो वो पूछने लगी: तेरा ब्रेक उप के बाद क्या सीन है?
मैने कहा: क्या करूँ, कोई लड़की मिलती नही. अभी तो सिंगल ही हू.
तब वो बोली: तू कोई ऐसी बंदी क्यूँ नही बना लेता, जिसको ये रिलेशन्षिप के छूतियापे पसंद ना हो. तुम दोनो अपनी नीड्स पूरी करो बस.
मैने बोला: यहाँ पे तो कोई भी नही मिल रही, ऐसी लड़की कहाँ मिलेगी?
हम बातें कर रहे थे, तो मैने उससे पूछा: तेरा ब्फ है क्या?
वो बोली: कहाँ यार भाई! तुझे तो पता है अपनी फॅमिली कैसी है.
मैने पूछा: तो तूने कभी कुछ किया भी नही क्या?
वो बोली: नही ना, इसी बात का तो अफ़सोस है. कोई मिलता भी है तो मेरी फाटती पड़ी होती है. घर पे पता चला तो जान से मार देंगे, और बाद में लड़के ब्लॅकमेल भी तो करते है.
तो मैने बोला: तू भी कोई ऐसा ढूँढ ले ना, जो तेरी नीड्स पूरी करे, और तू उसकी.
वो बोली: हा मैं तो हमेशा से ये चाहती हू, पर कोई मिले तो सही. ऐसे हमारी बातें चल ही रही थी, की इस बार मुझे भी सस्यू लग गयी.
मैं भी तोड़ा आधा-टेढ़ा होने लगा.
तो प्रांची ने पूच ही लिया: क्या हुआ तुझे?
मैने कहा: यार बातरूम लगी है बहुत ज़ोर की.
वो बोली: जब मैने की तब क्यूँ नही किया?
मैं बोला: तब होश किसको था (मैं ये बात बोल के खुद सोचने लगा की क्या बोल दिया मैने).
वो बोली: क्यूँ, कहा गया था होश?
मैं लड़खड़ाती आवाज़ में बोला: वो तू सस्यू करने गयी ना, तब मैने तुझे देख लिया था.
वो ह्म बोल के चुप हो गयी.
मैं अपने आप को कंट्रोल तो कर रहा था, पर मुझसे हो नही रहा था.
उसने कहा: यार मैं जानती हू कैसा फील होता है. तू ड्राइवर को पूच ले ना आयेज कब रोकेगा.
मैं ड्राइवर के पास गया, तो उसने बोला अभी 1-1.5 घंटा पासिबल नही है. आप कंट्रोल कीजिए तोड़ा. मैं मायूस फेस लेके जब वापस आया तो प्रांची ने पूछा-
प्रांची: क्या हुआ? क्या बोला ड्राइवर?
मैने उसको बताया तो वो भी टेन्षन में आ गयी. वो सोचने लगी.
तभी वो बोली: एक आइडिया है.
मैने पूछा: क्या?
वो बोली: ये देख बिसलेरी की बॉटल. खाली है. तू एक काम कर भाई, इसमे कर दे, और ड्राइवर की तरफ की विंडो से फेंक देना.
मैने बोला: हा पर करूँगा कहाँ पर?
तो वो बोली: यहीं कर दे ना, बॉटल में ही तो करना है. और वैसे भी तूने मुझे सस्यू करते हुए देख लिया. अब क्या शर्मा रहा है. कर दे जल्दी, और रिलॅक्स हो जेया.
मुझे भी बहुत ज़ोर की लगी थी. मैने कुछ सोचा नही. प्रांची से तोड़ा खिसक के, मैं अपनी पंत से लंड बाहर निकाल कर, बॉटल के मूह पर लगा कर, धार मारने लगा. मेरा लंड प्रांची को जैसे ही दिखा, उसकी आँखें बड़ी हो गयी.
मुझे रिलॅक्स फील होने लगा. मैने पूरी बॉटल अपने मूट से भर दी, और मैं ये सोचने लगा की प्रांची मेरा लंड देख रही थी. मेरा लंड खड़ा भी हो गया था. प्रांची की आँखें फिर से बड़ी हो गयी. वो बिना पालक झपकाए देखती ही रही. मैने बॉटल का ढक्कन बंद किया, तब तक सीट पर 2-3 बूँद सस्यू की गिर गयी.
मैं बोला: रुक, मैं बॉटल फेंक के सॉफ करता हू.
मैं गया, और बॉटल फेंक के आया. फिर एक कपड़े से सस्यू सॉफ करके बैठ गया प्रांची के पास. अब हम दोनो के मॅन में एक-दूसरे के लिए अश्लील ख़याल आ रहे थे.
मैं अपने बारे में बता डू. मेरा नाम साहिल है. मैं महाराष्ट्रा के अमरावती का रहने वाला हू. मेरी आगे 23 है. दिखने में आवरेज हू. अब आते है स्टोरी पर, जो की है रवि की ज़ुबानी-
मेरा नाम है रवि. ये कहानी मेरी और मेरे बेहन की है, जो मुझसे 1 साल छ्होटी है. वो मेरे चाचा की बेटी है. मेरी फॅमिली जॉइंट फॅमिली है, तो सब साथ रहते है. ये कहानी शुरू हुई आज से 3 महीने पहले.
मैं रवि हटता-कटता हू. जिम जाता हू, और मेरी आगे 21 है. मेरी बेहन का नाम है प्रांची. वो मुझसे 1 साल छ्होटी है.
प्रांची को डॉक्टर बनना है, तो उसके नीत के एग्ज़ॅम्स थे हमारे घर से डोर औरंगाबाद में. वो अकेली नही जेया सकती थी, इसलिए सब लोगों ने मुझे बोला की उसके साथ जेया क्यूंकी मैं घर में सबसे ज़्यादा चर्चित हू.
उसका एग्ज़ॅम था तो हमने जल्दी-जल्दी समान पॅक किया, और रात में ही औरंगाबाद के लिए निकल गये. क्यूंकी अगले दिन उसका 12 बजे से एग्ज़ॅम था. हम लोग ट्रॅवेल्ज़ से जेया रहे थे स्लीपर से. 10 बजे बस निकल गयी. वो मुझे मेरे नाम से ही बुलाती थी. हम दोनो बहुत फ्री थे आपस में. वो और मैं सब शेर करते थे.
वो बोली: रवि अछा हुआ हम आज ही निकल गये. सुबा तक कॉलेज भी मिल जाएगा, और एग्ज़ॅम में लाते नही होगा.
मैने हा कहा. हम दोनो अपने-अपने फोन में लगे हुए थे. अभी बस कुछ 50 केयेम ही निकली होगी, की उसको बहुत ज़ोर की बातरूम लगी. वो अनकंफर्टबल होने लगी.
मैने पूछा: क्या हुआ?
उसने बोला: बहुत ज़ोर से सस्यू आई है मुझे.
मैने उसको बोला: अभी तो निकली है गाड़ी. इतनी जल्दी आ गयी तुझे? कंट्रोल कर, आयेज रुकेंगे तो कर लेना.
वो ह्म बोल के चुप हो गयी, बुत उससे कंट्रोल नही हो पा रहा था. वो बेचैन होने लगी. मुझसे देखा नही गया, तो मैने सोचा अब क्या करू. मुझे भी कुछ समझ नही आ रहा था. तभी गाड़ी स्लो हुई. मैं उतार के गया तो ड्राइवर के पास जाके पूछा.
वो बोला: आयेज चेकिंग चल रही है.
मैने सोचा अछा मौका है. फिर मैने प्रांची को आवाज़ दी, और ड्राइवर को बोला-
मैं: मुझे बातरूम आई है. 2 मिनिट में आ जाता हू.
फिर मैं और प्रांची रोड की साइड में अंधेरा जैसा था, वहाँ चले गये.
मैने उसको बोला: जल्दी कर ले.
वो बोली: ठीक है.
फिर उसने मेरे ही सामने अपनी लोवर नीचे कर दी. उसके बाद जैसे ही वो झुकी, उसकी गोल-गोल गांद मुझे नज़र आ गयी. मेरी तो सिट्टी-पिटी गुल हो गयी. उसकी गांद इतनी खूबसूरत लग रही थी, जैसे की संगेमरमर के पुतले की हो. मैं वहीं जाम गया, और वो मूतने लगी.
उसके मूतने की आवाज़ मेरे कानो में पद रही थी सुरर-सुरर. मैं आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा, पर अपने आप को संभाला. वो जब खड़ी हुई, फिर से उसकी गांद मुझे दिख गयी. उसको तो जैसे कोई फराक ही नही पड़ा मुझे गांद दिखा के.
वो पलटी और बोली: हााह, अब ठीक है. चल अब.
मैं एक-दूं सुन हो गया था.
वो फिर बोली: चल ना.
मैं होश में आया, और उसके साथ चला गया. हम दोनो बस में जेया कर बैठ गये. अब मेरे मॅन में बस प्रांची की चिकनी गांद घूम रही थी. मैने उसपे नज़र डाली, तो मेरी उसके बूब्स पे नज़र गयी. बड़े-बड़े बूब्स, मेरे मूह में तो जैसे पानी ही आ रहा था. मैने सोचा अब तो कुछ करना पड़ेगा.
फिर मैं उससे बातें करने लगा. वो और मैं बहुत फ्रॅंक थे. हमारी रिलेशन्षिप टॉपिक पर बात होने लगी. उसको मेरी गफ़ के बारे में पता था, और ये भी पता था की मेरा ब्रेक उप हुआ था.
तो वो पूछने लगी: तेरा ब्रेक उप के बाद क्या सीन है?
मैने कहा: क्या करूँ, कोई लड़की मिलती नही. अभी तो सिंगल ही हू.
तब वो बोली: तू कोई ऐसी बंदी क्यूँ नही बना लेता, जिसको ये रिलेशन्षिप के छूतियापे पसंद ना हो. तुम दोनो अपनी नीड्स पूरी करो बस.
मैने बोला: यहाँ पे तो कोई भी नही मिल रही, ऐसी लड़की कहाँ मिलेगी?
हम बातें कर रहे थे, तो मैने उससे पूछा: तेरा ब्फ है क्या?
वो बोली: कहाँ यार भाई! तुझे तो पता है अपनी फॅमिली कैसी है.
मैने पूछा: तो तूने कभी कुछ किया भी नही क्या?
वो बोली: नही ना, इसी बात का तो अफ़सोस है. कोई मिलता भी है तो मेरी फाटती पड़ी होती है. घर पे पता चला तो जान से मार देंगे, और बाद में लड़के ब्लॅकमेल भी तो करते है.
तो मैने बोला: तू भी कोई ऐसा ढूँढ ले ना, जो तेरी नीड्स पूरी करे, और तू उसकी.
वो बोली: हा मैं तो हमेशा से ये चाहती हू, पर कोई मिले तो सही. ऐसे हमारी बातें चल ही रही थी, की इस बार मुझे भी सस्यू लग गयी.
मैं भी तोड़ा आधा-टेढ़ा होने लगा.
तो प्रांची ने पूच ही लिया: क्या हुआ तुझे?
मैने कहा: यार बातरूम लगी है बहुत ज़ोर की.
वो बोली: जब मैने की तब क्यूँ नही किया?
मैं बोला: तब होश किसको था (मैं ये बात बोल के खुद सोचने लगा की क्या बोल दिया मैने).
वो बोली: क्यूँ, कहा गया था होश?
मैं लड़खड़ाती आवाज़ में बोला: वो तू सस्यू करने गयी ना, तब मैने तुझे देख लिया था.
वो ह्म बोल के चुप हो गयी.
मैं अपने आप को कंट्रोल तो कर रहा था, पर मुझसे हो नही रहा था.
उसने कहा: यार मैं जानती हू कैसा फील होता है. तू ड्राइवर को पूच ले ना आयेज कब रोकेगा.
मैं ड्राइवर के पास गया, तो उसने बोला अभी 1-1.5 घंटा पासिबल नही है. आप कंट्रोल कीजिए तोड़ा. मैं मायूस फेस लेके जब वापस आया तो प्रांची ने पूछा-
प्रांची: क्या हुआ? क्या बोला ड्राइवर?
मैने उसको बताया तो वो भी टेन्षन में आ गयी. वो सोचने लगी.
तभी वो बोली: एक आइडिया है.
मैने पूछा: क्या?
वो बोली: ये देख बिसलेरी की बॉटल. खाली है. तू एक काम कर भाई, इसमे कर दे, और ड्राइवर की तरफ की विंडो से फेंक देना.
मैने बोला: हा पर करूँगा कहाँ पर?
तो वो बोली: यहीं कर दे ना, बॉटल में ही तो करना है. और वैसे भी तूने मुझे सस्यू करते हुए देख लिया. अब क्या शर्मा रहा है. कर दे जल्दी, और रिलॅक्स हो जेया.
मुझे भी बहुत ज़ोर की लगी थी. मैने कुछ सोचा नही. प्रांची से तोड़ा खिसक के, मैं अपनी पंत से लंड बाहर निकाल कर, बॉटल के मूह पर लगा कर, धार मारने लगा. मेरा लंड प्रांची को जैसे ही दिखा, उसकी आँखें बड़ी हो गयी.
मुझे रिलॅक्स फील होने लगा. मैने पूरी बॉटल अपने मूट से भर दी, और मैं ये सोचने लगा की प्रांची मेरा लंड देख रही थी. मेरा लंड खड़ा भी हो गया था. प्रांची की आँखें फिर से बड़ी हो गयी. वो बिना पालक झपकाए देखती ही रही. मैने बॉटल का ढक्कन बंद किया, तब तक सीट पर 2-3 बूँद सस्यू की गिर गयी.
मैं बोला: रुक, मैं बॉटल फेंक के सॉफ करता हू.
मैं गया, और बॉटल फेंक के आया. फिर एक कपड़े से सस्यू सॉफ करके बैठ गया प्रांची के पास. अब हम दोनो के मॅन में एक-दूसरे के लिए अश्लील ख़याल आ रहे थे.