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- Dec 12, 2024
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मेरी चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कॉलेज में सुजीत नाम का लड़का मेरा बाय्फ्रेंड बन गया. फिर हम जल्दी ही करीब आने लगे. मैं उसके घर उसको पढ़ने भी जाती थी. फिर एक दिन उसने मुझे किस के लिए पूछा. चाहती तो मैं भी थी, लेकिन मैने माना कर दिया. पर उसके रिक्वेस्ट करने पे मैं मान गयी. फिर उसने मुझे आँखें बंद करने को कहा. अब आयेज-
फिर मैं आँखें बंद करके सुजीत की तरफ मूह सामने कर दी, और वेट करने लगी की कब उसके होंठ मेरी होंठो को स्पर्श करे. मैं अंदर ही अंदर मचलते हुए इंतेज़ार करने लगी. तब एक-आधे सेकेंड के लिए सुजीत के होंठ मेरे होंठो से टच हुए ही थे की उधर से अंकल ने आवाज़ लगाई सुजीत को.
अंकल: सुजीत, बाहर आके हॉर्लिक्स पी लो.
उस आधे सेकेंड की मिलन को मेरे होंठ संभाल ना सके, और मेरे अंदर की ज्वाला बढ़ने लगी. मैं बेकाबू हो गयी. हलकी सुजीत मुझसे डोर हो गया था. सुजीत उठ के जाने लगा. जैसे ही वो दरवाज़ा खोलता, अंकल दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गये. अंकल के हाथ में हॉर्लिक्स के ग्लास था.
सुजीत: थॅंक्स, डॅडी.
अंकल: बेटा ये तुम्हारे लिए नही, अंजलि के लिए है. तुम किचन में जेया कर मम्मी से ले लो. अंजलि भी तो तुम्हारी दोस्त ही है ना. तो तुम जाके पी लो, ये मैं अंजलि को दे देता हू.
सुजीत चला गया और अंकल हॉर्लिक्स का ग्लास लेके मेरी तरफ आए. वो एक कुर्सी पे बैठ गयी. तो दोस्तों अब मैं अंकल के बारे में बता डू की अंकल की उमर शायद 40-42 होगी. और वो भी देखने में एक-दूं सुजीत की तरह कुछ ज़्यादा ही हाइट के 6 फीट तक लंबे थे. बॉडी भी फिट थी, एक-दूं आत्लेटिक. बढ़िया हेरकट के साथ थोड़ी-थोड़ी दाढ़ी में आचे दिखते थे. एक वर्ड में कहे तो हॅंडसम हंक थे अंकल. सुजीत की तो दाढ़ी मूचे आई ही नही थी.
अंकल: हॉर्लिक्स पी लो बेटा.
मैं अंकल की और देखी. मेरे होंठो की गर्मी अभी भी थी. क्यूंकी सुजीत पानी दिखा के बिना पिलाए प्यासी ही छ्चोढ़ गया मुझे. मेरे होंठ फड़फदा रहे थे.
अंकल: क्या हुआ? लो पाकड़ो और पी लो.
फिर मैने हॉर्लिक्स का ग्लास अंकल से लिया, और होंठो पर लगा के धीरे-धीरे पीने लगी. मैं पीते वक़्त नज़र घूमते हुए अंकल की और देखने लगी. अंकल पालक झपकाए बिना एक ही नज़र से मुझे ही घूरे जेया रहे थे. मैं धीरे-धीरे पीते हुए हॉर्लिक्स ख़तम कर ली, और उठ के ग्लास लेके बाहर जाने लगी.
अंकल: अर्रे बेटा मुझे दे दो, तुम बैठो और पढ़ाई करो.
मैं: नही अंकल.
अंकल: अर्रे कोई बात नही, तुम दो तो सही.
बोलते हुआ अंकल मेरे हाथ से ग्लास लेके चले गये. फिर मैं बैठ गयी, और फिर मॅन ही मॅन बोलने लगी की-
मैं (मॅन में): अर्रे क्या किया सुजीत ने, गरम करके छ्चोढ़ दिया. पहली लीप किस ठीक से भी नही कर पाई. हा मेरी ही ग़लती है. ज़्यादा खेल रही थी. अगर कुछ देर पहले हा कर देती तो आराम से किस कर लेते.
इसलिए अपने आप पे गुस्सा हुई मैं. फिर मैं मेरी बुक्स और नोट्स ली, और बाहर जाने लगी. बाहर जाते वक़्त सुजीत रूम की और आ रहा था.
सुजीत: जेया रही हो क्या तुम?
मैं: हा वो घर पे तोड़ा काम है. बाइ
सुजीत: अछा सुनो.
मैं (जाते हुए बोली ): बाइ.
सुजीत: ओक, बाइ.
फिर मैं घर के बाहर आई. तब अंकल सामने थे. वो पेड़ को पानी दे रहे थे. मैं अंकल को देख के थोड़ी तेज़ी से जाने लगी.
अंकल: पढ़ाई हो गयी क्या बेटा?
मैं: जी अंकल.
अंकल: तो घर जेया रही हो. संभाल के जाना.
मैं: जी अंकल.
तब मैं अपना साइकल निकली, और जाने लगी.
अंकल: बाइ.
मैं बिना जवाब दिए निकल गयी. फिर कुछ देर में मैं घर पे पहुँच गयी. अगले दिन सुजीत और मैं कॉलेज में मिले.
सुजीत: क्या हुआ? चली क्यूँ गयी?
मैं: नही, ऐसे ही काम था तोड़ा तो.
सुजीत: बोलो ना.
मैं: गरम करके छ्चोढ़ दोगे तो क्या रात होने का इंतेज़ार करूँगी?
सुजीत: अछा सॉरी ना.
मैं: कोई बात नही.
सुजीत: तो फिर सुनो, अगले कुछ दीनो में मम्मी डॅडी बाहर एक शादी का फंक्षन अटेंड करने जेया रहे. तुम कहो तो तब हम आराम से कुछ भी कर सकते है.
मैं: कुछ भी नही, सिर्फ़ किस.
सुजीत: हा वही.
फिर शाम को मैं सुजीत के घर गयी. तब सुजीत, अंकल और आंटी सब मिल के टीवी देख रहे थे. आंटी अलग एक कुर्सी पे और सुजीत और अंकल दोनो सोफा पे बैठे थे. और तो और अंकल सिर्फ़ टवल ही पहने थे. बॉडी पे और कुछ नही. छ्चाटी पे बाल भी नही थे, और 6 पॅक्स भी थे. अंकल की बॉडी से मैं इंप्रेस हो गयी. तब आंटी बोली-
आंटी: अर्रे बेटा आओ, बैठो तुम भी.
मैं: जी आंटी.
जगह सिर्फ़ अंकल और सुजीत के बीच में ही थी सोफा पे.
अंकल: आओ बेटा, बैठो इधर.
फिर मैं दोनो के बीच में बैठ गयी. सब टीवी देख रहे थे, कोई कबड्डी मॅच देख रहे थे सब. पर मेरी नज़र सिर्फ़ अंकल के एबेस पे ही टिकी हुई थी. च्छूप-च्छूप के मैं अंकल के एबेस ही देख रही थी. मॅच 15 मिनिट में ख़त्म हो गया, तो आंटी और अंकल उठ के जाने लगे.
अंकल: मैं शवर लेने जेया रहा हू.
आंटी: ठीक है.
फिर सुजीत और मैं बात करने लगे. थोड़ी ही देर में आंटी ने सुजीत को कुछ समान लाने को कहा, तो वो बाहर गया. फिर मैं आंटी के पास किचन में गयी. आंटी और मैं बात करने लगे.
अब मैं आंटी के बारे में बता डू की आंटी देखने में गोरी थी. पर काफ़ी मोटी और वेट भी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी. और तो आंटी उमर के हिसाब से अंकल से भी बड़ी थी. आंटी की आगे 48 होगी. अंकल आंटी की शादी कैसे हुई वो आपको आयेज कहानी में पता चलेगा.
मैं: अछा आंटी, सुजीत और अंकल की तरह आपको भी स्पोर्ट्स पसंद है क्या?
आंटी: हा ऐसे ही थोड़ी बहुत देख लेती हू इन दोनो के साथ.
मैं: सुजीत बोलता है की उसे स्पोर्ट्स में अंकल बहुत सपोर्ट करते है.
आंटी: क्यूँ नही करेंगे, उनको भी बहुत शौंक था खेलने का.
मैं: था मतलब, अब नही है क्या?
आंटी: नही अब उतना नही. स्कूल और कॉलेज के टाइम पे तो उन्होने बहुत प्राइज़स जीते है.
मैं: सच में?
आंटी: हा, अभी भी है वो प्राइज़स.
मैं: मैने तो कभी नही देखे आज तक.
आंटी: हमारे रूम पे ही है. एक बॉक्स में.
मैं: आंटी, क्या दिखा सकते हो आप मुझे?
आंटी: ठीक है, आओ तुम.
फिर हम दोनो बेडरूम में गयी. आंटी एक बॉक्स निकली, और मुझे दिखाने लगी. मैं सब प्राइज़स देखने लगी.
आंटी: अर्रे बेटा तुम देखो, मैं जेया रही हू किचन में.
ये बोल के आंटी चली गयी. आंटी के जाने के बाद मैं एक-एक प्राइज़ देख रही थी. तब उस बॉक्स के अंदर अंकल की यंग आगे की एक पिक लगी मेरी हाथ. जिसमे अंकल सिर्फ़ एक स्पोर्ट्स पंत ही पहने थे. तब वो देखने में एक-दूं फिट और अची बॉडी के साथ हॅंडसम दिख रहे थे.
मैं अंकल की फोटो को देखती ही रही की तभी अंकल बातरूम से निकले, वो भी नंगे. वो जो टवल पहने थे, उससे सर पोंछते हुए बाहर आ गये. मूह के सामने टवल होने की वजह से वो मुझे देख नही पा रहे थे. जब की मेरे मॅन में तो अंकल थे ही. पर आब सामने भी आगाय अंकल.
मैं तो देख के हैरान हो गयी. फोटो देख के मैं अंकल के बारे में सोच ही रही थी, की अंकल सामने आ गये, वो भी नंगे. एक हाथ में फोटो पकड़ के मैं बस अंकल की बॉडी को देख रही थी. तभी अचानक मेरी नज़र उनके लंड पे गयी. पहली बार मैं किसी पुरुष का लंड अपनी आँखों से इतनी पास से देख रही थी.
बाल भी नही थे उसपे. अंकल ने सॉफ कर लिए होंगे. एक-दूं सॉफ-सट्रा लंड चमक रहा था. मैं लंड को देख ही रही थी की अंकल टवल हटाने जैसे लगे, तो मैं फाटाक से मूह नीचे करके प्राइज़ देखने लगी. जैसे कुछ ना देखने का नाटक करने लगी मैं. तभी अंकल ने मुझे देखा.
इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको मेरी चुदाई कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. यहाँ तक की कहानी के बारे में अपने विचार ज़रूर बताए.
फिर मैं आँखें बंद करके सुजीत की तरफ मूह सामने कर दी, और वेट करने लगी की कब उसके होंठ मेरी होंठो को स्पर्श करे. मैं अंदर ही अंदर मचलते हुए इंतेज़ार करने लगी. तब एक-आधे सेकेंड के लिए सुजीत के होंठ मेरे होंठो से टच हुए ही थे की उधर से अंकल ने आवाज़ लगाई सुजीत को.
अंकल: सुजीत, बाहर आके हॉर्लिक्स पी लो.
उस आधे सेकेंड की मिलन को मेरे होंठ संभाल ना सके, और मेरे अंदर की ज्वाला बढ़ने लगी. मैं बेकाबू हो गयी. हलकी सुजीत मुझसे डोर हो गया था. सुजीत उठ के जाने लगा. जैसे ही वो दरवाज़ा खोलता, अंकल दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गये. अंकल के हाथ में हॉर्लिक्स के ग्लास था.
सुजीत: थॅंक्स, डॅडी.
अंकल: बेटा ये तुम्हारे लिए नही, अंजलि के लिए है. तुम किचन में जेया कर मम्मी से ले लो. अंजलि भी तो तुम्हारी दोस्त ही है ना. तो तुम जाके पी लो, ये मैं अंजलि को दे देता हू.
सुजीत चला गया और अंकल हॉर्लिक्स का ग्लास लेके मेरी तरफ आए. वो एक कुर्सी पे बैठ गयी. तो दोस्तों अब मैं अंकल के बारे में बता डू की अंकल की उमर शायद 40-42 होगी. और वो भी देखने में एक-दूं सुजीत की तरह कुछ ज़्यादा ही हाइट के 6 फीट तक लंबे थे. बॉडी भी फिट थी, एक-दूं आत्लेटिक. बढ़िया हेरकट के साथ थोड़ी-थोड़ी दाढ़ी में आचे दिखते थे. एक वर्ड में कहे तो हॅंडसम हंक थे अंकल. सुजीत की तो दाढ़ी मूचे आई ही नही थी.
अंकल: हॉर्लिक्स पी लो बेटा.
मैं अंकल की और देखी. मेरे होंठो की गर्मी अभी भी थी. क्यूंकी सुजीत पानी दिखा के बिना पिलाए प्यासी ही छ्चोढ़ गया मुझे. मेरे होंठ फड़फदा रहे थे.
अंकल: क्या हुआ? लो पाकड़ो और पी लो.
फिर मैने हॉर्लिक्स का ग्लास अंकल से लिया, और होंठो पर लगा के धीरे-धीरे पीने लगी. मैं पीते वक़्त नज़र घूमते हुए अंकल की और देखने लगी. अंकल पालक झपकाए बिना एक ही नज़र से मुझे ही घूरे जेया रहे थे. मैं धीरे-धीरे पीते हुए हॉर्लिक्स ख़तम कर ली, और उठ के ग्लास लेके बाहर जाने लगी.
अंकल: अर्रे बेटा मुझे दे दो, तुम बैठो और पढ़ाई करो.
मैं: नही अंकल.
अंकल: अर्रे कोई बात नही, तुम दो तो सही.
बोलते हुआ अंकल मेरे हाथ से ग्लास लेके चले गये. फिर मैं बैठ गयी, और फिर मॅन ही मॅन बोलने लगी की-
मैं (मॅन में): अर्रे क्या किया सुजीत ने, गरम करके छ्चोढ़ दिया. पहली लीप किस ठीक से भी नही कर पाई. हा मेरी ही ग़लती है. ज़्यादा खेल रही थी. अगर कुछ देर पहले हा कर देती तो आराम से किस कर लेते.
इसलिए अपने आप पे गुस्सा हुई मैं. फिर मैं मेरी बुक्स और नोट्स ली, और बाहर जाने लगी. बाहर जाते वक़्त सुजीत रूम की और आ रहा था.
सुजीत: जेया रही हो क्या तुम?
मैं: हा वो घर पे तोड़ा काम है. बाइ
सुजीत: अछा सुनो.
मैं (जाते हुए बोली ): बाइ.
सुजीत: ओक, बाइ.
फिर मैं घर के बाहर आई. तब अंकल सामने थे. वो पेड़ को पानी दे रहे थे. मैं अंकल को देख के थोड़ी तेज़ी से जाने लगी.
अंकल: पढ़ाई हो गयी क्या बेटा?
मैं: जी अंकल.
अंकल: तो घर जेया रही हो. संभाल के जाना.
मैं: जी अंकल.
तब मैं अपना साइकल निकली, और जाने लगी.
अंकल: बाइ.
मैं बिना जवाब दिए निकल गयी. फिर कुछ देर में मैं घर पे पहुँच गयी. अगले दिन सुजीत और मैं कॉलेज में मिले.
सुजीत: क्या हुआ? चली क्यूँ गयी?
मैं: नही, ऐसे ही काम था तोड़ा तो.
सुजीत: बोलो ना.
मैं: गरम करके छ्चोढ़ दोगे तो क्या रात होने का इंतेज़ार करूँगी?
सुजीत: अछा सॉरी ना.
मैं: कोई बात नही.
सुजीत: तो फिर सुनो, अगले कुछ दीनो में मम्मी डॅडी बाहर एक शादी का फंक्षन अटेंड करने जेया रहे. तुम कहो तो तब हम आराम से कुछ भी कर सकते है.
मैं: कुछ भी नही, सिर्फ़ किस.
सुजीत: हा वही.
फिर शाम को मैं सुजीत के घर गयी. तब सुजीत, अंकल और आंटी सब मिल के टीवी देख रहे थे. आंटी अलग एक कुर्सी पे और सुजीत और अंकल दोनो सोफा पे बैठे थे. और तो और अंकल सिर्फ़ टवल ही पहने थे. बॉडी पे और कुछ नही. छ्चाटी पे बाल भी नही थे, और 6 पॅक्स भी थे. अंकल की बॉडी से मैं इंप्रेस हो गयी. तब आंटी बोली-
आंटी: अर्रे बेटा आओ, बैठो तुम भी.
मैं: जी आंटी.
जगह सिर्फ़ अंकल और सुजीत के बीच में ही थी सोफा पे.
अंकल: आओ बेटा, बैठो इधर.
फिर मैं दोनो के बीच में बैठ गयी. सब टीवी देख रहे थे, कोई कबड्डी मॅच देख रहे थे सब. पर मेरी नज़र सिर्फ़ अंकल के एबेस पे ही टिकी हुई थी. च्छूप-च्छूप के मैं अंकल के एबेस ही देख रही थी. मॅच 15 मिनिट में ख़त्म हो गया, तो आंटी और अंकल उठ के जाने लगे.
अंकल: मैं शवर लेने जेया रहा हू.
आंटी: ठीक है.
फिर सुजीत और मैं बात करने लगे. थोड़ी ही देर में आंटी ने सुजीत को कुछ समान लाने को कहा, तो वो बाहर गया. फिर मैं आंटी के पास किचन में गयी. आंटी और मैं बात करने लगे.
अब मैं आंटी के बारे में बता डू की आंटी देखने में गोरी थी. पर काफ़ी मोटी और वेट भी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी. और तो आंटी उमर के हिसाब से अंकल से भी बड़ी थी. आंटी की आगे 48 होगी. अंकल आंटी की शादी कैसे हुई वो आपको आयेज कहानी में पता चलेगा.
मैं: अछा आंटी, सुजीत और अंकल की तरह आपको भी स्पोर्ट्स पसंद है क्या?
आंटी: हा ऐसे ही थोड़ी बहुत देख लेती हू इन दोनो के साथ.
मैं: सुजीत बोलता है की उसे स्पोर्ट्स में अंकल बहुत सपोर्ट करते है.
आंटी: क्यूँ नही करेंगे, उनको भी बहुत शौंक था खेलने का.
मैं: था मतलब, अब नही है क्या?
आंटी: नही अब उतना नही. स्कूल और कॉलेज के टाइम पे तो उन्होने बहुत प्राइज़स जीते है.
मैं: सच में?
आंटी: हा, अभी भी है वो प्राइज़स.
मैं: मैने तो कभी नही देखे आज तक.
आंटी: हमारे रूम पे ही है. एक बॉक्स में.
मैं: आंटी, क्या दिखा सकते हो आप मुझे?
आंटी: ठीक है, आओ तुम.
फिर हम दोनो बेडरूम में गयी. आंटी एक बॉक्स निकली, और मुझे दिखाने लगी. मैं सब प्राइज़स देखने लगी.
आंटी: अर्रे बेटा तुम देखो, मैं जेया रही हू किचन में.
ये बोल के आंटी चली गयी. आंटी के जाने के बाद मैं एक-एक प्राइज़ देख रही थी. तब उस बॉक्स के अंदर अंकल की यंग आगे की एक पिक लगी मेरी हाथ. जिसमे अंकल सिर्फ़ एक स्पोर्ट्स पंत ही पहने थे. तब वो देखने में एक-दूं फिट और अची बॉडी के साथ हॅंडसम दिख रहे थे.
मैं अंकल की फोटो को देखती ही रही की तभी अंकल बातरूम से निकले, वो भी नंगे. वो जो टवल पहने थे, उससे सर पोंछते हुए बाहर आ गये. मूह के सामने टवल होने की वजह से वो मुझे देख नही पा रहे थे. जब की मेरे मॅन में तो अंकल थे ही. पर आब सामने भी आगाय अंकल.
मैं तो देख के हैरान हो गयी. फोटो देख के मैं अंकल के बारे में सोच ही रही थी, की अंकल सामने आ गये, वो भी नंगे. एक हाथ में फोटो पकड़ के मैं बस अंकल की बॉडी को देख रही थी. तभी अचानक मेरी नज़र उनके लंड पे गयी. पहली बार मैं किसी पुरुष का लंड अपनी आँखों से इतनी पास से देख रही थी.
बाल भी नही थे उसपे. अंकल ने सॉफ कर लिए होंगे. एक-दूं सॉफ-सट्रा लंड चमक रहा था. मैं लंड को देख ही रही थी की अंकल टवल हटाने जैसे लगे, तो मैं फाटाक से मूह नीचे करके प्राइज़ देखने लगी. जैसे कुछ ना देखने का नाटक करने लगी मैं. तभी अंकल ने मुझे देखा.
इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको मेरी चुदाई कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. यहाँ तक की कहानी के बारे में अपने विचार ज़रूर बताए.