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मेरी अंतर्वसना सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की सुजीत के पापा की वजह से हमारी किस अधूरी रह गयी. उसके पापा बहुत स्मार्ट थे, और मैं उन पर फ्लॅट होने लगी. फिर मैं जब अंकल के रूम में बैठी उनके प्राइज़स देख रही थी, तो अंकल बातरूम से नंगे बाहर आए. मैं उनको देख कर उत्तेजित हो गयी. फिर उन्होने मुझे देखा. अब आयेज-
अंकल: अर्रे अंजलि तुम?
मैं: श सॉरी अंकल. आप आ गये. वो मैं बस आपके प्राइज़स देख रही थी. ठीक है अंकल, अब जेया रही हू मैं.
मैं उठने लगी तो-
अंकल: अर्रे देखो लो, कोई बात नही.
फिर मैं बैठ के देखने लगी, और अंकल कपड़े पहनने लगे. अंडरवेर पहन के एक फुल ट्राउज़र पहने, और एक शर्ट. जब वो मेरी तरफ आए, तो ट्राउज़र से उनका खड़ा हुआ लंड बिल्कुल उभर के दिख रहा था. नहा के आते वक़्त तो खड़ा नही था, और अब खड़ा था. तो मैं समझ गयी की रीज़न मैं ही थी.
अंकल आके मेरी बगल में लेट गयी. मैं प्राइज़स देख रही थी, तो वो भी मेरा साथ देके सब बताने लगे, की कब कों सा प्राइज़ किस खेल में जीते थे. बीच-बीच में वो मुझे टच भी करने लगे. कभी मेरा हाथ पकड़ते तो कभी मेरी जाँघ पे हाथ रख देते.
हाथ पकड़ते टाइम तो कुछ नही, पर जब जाँघ पे हाथ रखते तो मेरे अंदर ही अंदर कुछ होने लगता था. और तो और मैने नोटीस किया की अंकल बात करते-करते अपना लंड भी सेट कर रहे थे ट्राउज़र के अंदर. ऐसे ही कुछ देर अंकल प्राइज़ दिखा रहे थे. तभी मैं उनसे पूछी-
मैं: ये फोटो कब की है?
अंकल की सिर्फ़ स्पोर्ट्स पंत वाली पिक दिखाते हुए.
अंकल: अर्रे ये मेरा लास्ट स्पोर्ट्स इवेंट का फोटो है. उसके बाद मैं खेलना बंद कर दिया था.
मैं: क्यूँ अंकल?
अंकल ( हेस्ट हुए): असे ही बेटा, बस छ्चोढ़ दिया.
उतने में सुजीत बाहर से आ गया. उसकी आवाज़ सुनयी दी मुझे.
सुजीत: मम्मी, अंजलि चली गयी क्या?
आंटी: नही रूम में है.
सुजीत: मैने देख लिया ऑलरेडी, रूम में नही है.
आंटी: डॅडी के साथ रूम में है.
सुजीत: अछा.
मैं: अंकल सुजीत मुझे ढूँढ रहा है. तो मैं आती हू.
अंकल: ठीक है, जाओ.
फिर मैं रूम के बाहर आ गयी, और सुजीत से बात की. टाइम भी हो गया था, तो मैं वापस घर आ गयी.
अगले दिन सनडे था, तो मैं एक फ्रेंड के घर जेया रही थी नोट्स लेने के लिए. तब रास्ते में मेरा दुपट्टा साइकल के पीछे पहिए में फ़ासस गया. जाम होके साइकल भी ना चली, और मैं उतार के निकालने की कॉसिश करने लगी. कुछ आने-जाने वाले लोग मेरी हेल्प करने के लिए आए. वो सब मुझे घूर-घूर के दुपट्टे को जाम से निकालने की कॉसिश करने लगे.
उनमे से एक ने बोला की मैं दुपट्टा उन्हे दे डू, ताकि निकालने में आसान हो. तो मैं उसे दे दी. दुपट्टा मेरे सीने से हट-ते ही सब मेरे स्टान्नो को घूरते हुए देखने लगे, जो की एक-दूं टाइट थे. मैं थोड़ी अनकंफर्टबल भी फील करने लगी.
उतने में उस रास्ते से अंकल भी गुज़र रहे थे. तब वो मुझे देख के बिके रोक के आए मेरे पास. अंकल को पास आते हुए देख मुझे राहत मिली.
अंकल: क्या हुआ अंजलि (फिर वो मेरी साइकल की और देखे)?
मैं कुछ ना बोल के आँखों से आँसू निकाल के धीरे-धीरे रोने लगी.
अंकल: अर्रे कुछ नही, कुछ नही होगा. तुम जाओ बिके के पास जाओ. मैं निकाल देता हुआ.
मैं अंकल की बिके के पास चली गयी. कुछ देर बाद अंकल दुपट्टा लेके आए.
अंकल: लो तुम्हारा दुपट्टा. इतनी सी बात के लिए रो दी तुम?
मैं दुपट्टा ले ली और अपने उपर कर ली.
अंकल: आँसू पॉंचो और बताओ कहा जेया रही हो?
मैं: वो एक फ्रेंड के घर (आँसू पोंछते हुए).
अंकल: अब तो नही जेया सकती. तुम्हारा दुपट्टा और हाथ तो आयिल से गंदे हो गये है. दुपट्टा तो पूरा ही गंदा हो गया है.
मैं: हा अंकल वो मैं अब नही जौंगी फ्रेंड्स के पास, रिटर्न होके घर चली जौंगी.
अंकल: अछा एक काम करो, तुम आओ मेरे साथ हमारे घर. वहाँ सॉफ करके घर चली जाना.
मैं: नही अंकल कोई बात नही.
अंकल: अर्रे आओ तो. सॉफ करके चली जाना. कोई टेन्षन नही.
मैं: ठीक है अंकल.
फिर अंकल उनकी बिके पे और मैं मेरी साइकल से ही अंकल के घर पहुँचे. तो मैं डोर देख के पूछी.
मैं: अंकल डोर लॉक्ड क्यूँ है? कोई नही है क्या?
अंकल: हा वो आंटी सनडे है तो मार्केट गयी है नेबर्स के साथ, और सुजीत भी खेलने गया है.
अंकल (लॉक खोल दिया): आओ अंदर.
मैं घर के अंदर गयी. अंकल ने लाइट ओं कर दी.
अंकल: अंजलि अछा तुम जाके बातरूम में ढोलो कपड़े.
मैं: जी अंकल.
बोल के मैं सुजीत के रूम की तरफ बढ़ने लगी.
अंकल: उस तरफ कहा जेया रही हो?
मैं: सुजीत के रूम में.
अंकल: अर्रे मेरे रूम में चलो. कोई प्राब्लम नही. आओ अंजलि.
अंकल जाने लगे तो मैं भी अंकल के पीछे उनके रूम में पहुँच गयी. मैं बातरूम में ढोने चली गयी. कुछ देर बाद-
अंकल (बाहर से): सॉफ हुआ की नही, अंजलि?
मैं (अंदर से): नही अंकल.
अंकल: अछा डोर ओपन करो, में हेल्प करता हू तुम्हे.
मैं डोर ओपन कर दी, तो अंकल अंदर आए. अंकल तब एक हाफ पंत और बनियान पहन के आए, और मेरे साथ वो भी सॉफ करने लगे. आयिल था तो जल्दी नही जेया रहा था.
जैसे-तैसे दुपट्टा सॉफ करके हॅंगर पे सूखने के लिए रख दिया.
अंकल: तुम्हारा हाथ भी गंदा है. हाथ बाधाओ मैं सोप लगा के सॉफ कर दूँगा.
मैं अंकल की और हाथ बधाई, और अंकल मेरे हाथ पे सोप लगा के रब करने लगे. ऐसे ही हम दोनो झुके हुए थे. अंकल रब कर रहे थे, और मैं उन्हे हाथ देखा रही थी. तो सॉफ करते वक़्त मैने नोटीस किया की . की . मेरी . . थी.
. से मेरी . . . दे रही थी . को, और . एक ही . से . जेया रहे थे. तो तुरंत मैं . हो गयी. मैं . . तो . भी . हो गयी. . मेरी . . के लंड . .. . का लंड भी एक-दूं टाइट . . रहा था . में. . . . नही . थे.
. . . के बाद . .-
.: ., सॉरी. वो… (. हुए . लंड को . लगे).
फिर मैं धीरे-धीरे हेस्ट-हेस्ट . . कर . .. तभी . . . . मेरे . पर . लिए और मुझे . . गये. ये मेरी . . . थी.
मुझे . करते हुए वो 5 . तक मेरे . को ..
अब . क्या होता है, . के लिए अगले . का . .. . चुदाई . . . . रही है . ..
अंकल: अर्रे अंजलि तुम?
मैं: श सॉरी अंकल. आप आ गये. वो मैं बस आपके प्राइज़स देख रही थी. ठीक है अंकल, अब जेया रही हू मैं.
मैं उठने लगी तो-
अंकल: अर्रे देखो लो, कोई बात नही.
फिर मैं बैठ के देखने लगी, और अंकल कपड़े पहनने लगे. अंडरवेर पहन के एक फुल ट्राउज़र पहने, और एक शर्ट. जब वो मेरी तरफ आए, तो ट्राउज़र से उनका खड़ा हुआ लंड बिल्कुल उभर के दिख रहा था. नहा के आते वक़्त तो खड़ा नही था, और अब खड़ा था. तो मैं समझ गयी की रीज़न मैं ही थी.
अंकल आके मेरी बगल में लेट गयी. मैं प्राइज़स देख रही थी, तो वो भी मेरा साथ देके सब बताने लगे, की कब कों सा प्राइज़ किस खेल में जीते थे. बीच-बीच में वो मुझे टच भी करने लगे. कभी मेरा हाथ पकड़ते तो कभी मेरी जाँघ पे हाथ रख देते.
हाथ पकड़ते टाइम तो कुछ नही, पर जब जाँघ पे हाथ रखते तो मेरे अंदर ही अंदर कुछ होने लगता था. और तो और मैने नोटीस किया की अंकल बात करते-करते अपना लंड भी सेट कर रहे थे ट्राउज़र के अंदर. ऐसे ही कुछ देर अंकल प्राइज़ दिखा रहे थे. तभी मैं उनसे पूछी-
मैं: ये फोटो कब की है?
अंकल की सिर्फ़ स्पोर्ट्स पंत वाली पिक दिखाते हुए.
अंकल: अर्रे ये मेरा लास्ट स्पोर्ट्स इवेंट का फोटो है. उसके बाद मैं खेलना बंद कर दिया था.
मैं: क्यूँ अंकल?
अंकल ( हेस्ट हुए): असे ही बेटा, बस छ्चोढ़ दिया.
उतने में सुजीत बाहर से आ गया. उसकी आवाज़ सुनयी दी मुझे.
सुजीत: मम्मी, अंजलि चली गयी क्या?
आंटी: नही रूम में है.
सुजीत: मैने देख लिया ऑलरेडी, रूम में नही है.
आंटी: डॅडी के साथ रूम में है.
सुजीत: अछा.
मैं: अंकल सुजीत मुझे ढूँढ रहा है. तो मैं आती हू.
अंकल: ठीक है, जाओ.
फिर मैं रूम के बाहर आ गयी, और सुजीत से बात की. टाइम भी हो गया था, तो मैं वापस घर आ गयी.
अगले दिन सनडे था, तो मैं एक फ्रेंड के घर जेया रही थी नोट्स लेने के लिए. तब रास्ते में मेरा दुपट्टा साइकल के पीछे पहिए में फ़ासस गया. जाम होके साइकल भी ना चली, और मैं उतार के निकालने की कॉसिश करने लगी. कुछ आने-जाने वाले लोग मेरी हेल्प करने के लिए आए. वो सब मुझे घूर-घूर के दुपट्टे को जाम से निकालने की कॉसिश करने लगे.
उनमे से एक ने बोला की मैं दुपट्टा उन्हे दे डू, ताकि निकालने में आसान हो. तो मैं उसे दे दी. दुपट्टा मेरे सीने से हट-ते ही सब मेरे स्टान्नो को घूरते हुए देखने लगे, जो की एक-दूं टाइट थे. मैं थोड़ी अनकंफर्टबल भी फील करने लगी.
उतने में उस रास्ते से अंकल भी गुज़र रहे थे. तब वो मुझे देख के बिके रोक के आए मेरे पास. अंकल को पास आते हुए देख मुझे राहत मिली.
अंकल: क्या हुआ अंजलि (फिर वो मेरी साइकल की और देखे)?
मैं कुछ ना बोल के आँखों से आँसू निकाल के धीरे-धीरे रोने लगी.
अंकल: अर्रे कुछ नही, कुछ नही होगा. तुम जाओ बिके के पास जाओ. मैं निकाल देता हुआ.
मैं अंकल की बिके के पास चली गयी. कुछ देर बाद अंकल दुपट्टा लेके आए.
अंकल: लो तुम्हारा दुपट्टा. इतनी सी बात के लिए रो दी तुम?
मैं दुपट्टा ले ली और अपने उपर कर ली.
अंकल: आँसू पॉंचो और बताओ कहा जेया रही हो?
मैं: वो एक फ्रेंड के घर (आँसू पोंछते हुए).
अंकल: अब तो नही जेया सकती. तुम्हारा दुपट्टा और हाथ तो आयिल से गंदे हो गये है. दुपट्टा तो पूरा ही गंदा हो गया है.
मैं: हा अंकल वो मैं अब नही जौंगी फ्रेंड्स के पास, रिटर्न होके घर चली जौंगी.
अंकल: अछा एक काम करो, तुम आओ मेरे साथ हमारे घर. वहाँ सॉफ करके घर चली जाना.
मैं: नही अंकल कोई बात नही.
अंकल: अर्रे आओ तो. सॉफ करके चली जाना. कोई टेन्षन नही.
मैं: ठीक है अंकल.
फिर अंकल उनकी बिके पे और मैं मेरी साइकल से ही अंकल के घर पहुँचे. तो मैं डोर देख के पूछी.
मैं: अंकल डोर लॉक्ड क्यूँ है? कोई नही है क्या?
अंकल: हा वो आंटी सनडे है तो मार्केट गयी है नेबर्स के साथ, और सुजीत भी खेलने गया है.
अंकल (लॉक खोल दिया): आओ अंदर.
मैं घर के अंदर गयी. अंकल ने लाइट ओं कर दी.
अंकल: अंजलि अछा तुम जाके बातरूम में ढोलो कपड़े.
मैं: जी अंकल.
बोल के मैं सुजीत के रूम की तरफ बढ़ने लगी.
अंकल: उस तरफ कहा जेया रही हो?
मैं: सुजीत के रूम में.
अंकल: अर्रे मेरे रूम में चलो. कोई प्राब्लम नही. आओ अंजलि.
अंकल जाने लगे तो मैं भी अंकल के पीछे उनके रूम में पहुँच गयी. मैं बातरूम में ढोने चली गयी. कुछ देर बाद-
अंकल (बाहर से): सॉफ हुआ की नही, अंजलि?
मैं (अंदर से): नही अंकल.
अंकल: अछा डोर ओपन करो, में हेल्प करता हू तुम्हे.
मैं डोर ओपन कर दी, तो अंकल अंदर आए. अंकल तब एक हाफ पंत और बनियान पहन के आए, और मेरे साथ वो भी सॉफ करने लगे. आयिल था तो जल्दी नही जेया रहा था.
जैसे-तैसे दुपट्टा सॉफ करके हॅंगर पे सूखने के लिए रख दिया.
अंकल: तुम्हारा हाथ भी गंदा है. हाथ बाधाओ मैं सोप लगा के सॉफ कर दूँगा.
मैं अंकल की और हाथ बधाई, और अंकल मेरे हाथ पे सोप लगा के रब करने लगे. ऐसे ही हम दोनो झुके हुए थे. अंकल रब कर रहे थे, और मैं उन्हे हाथ देखा रही थी. तो सॉफ करते वक़्त मैने नोटीस किया की . की . मेरी . . थी.
. से मेरी . . . दे रही थी . को, और . एक ही . से . जेया रहे थे. तो तुरंत मैं . हो गयी. मैं . . तो . भी . हो गयी. . मेरी . . के लंड . .. . का लंड भी एक-दूं टाइट . . रहा था . में. . . . नही . थे.
. . . के बाद . .-
.: ., सॉरी. वो… (. हुए . लंड को . लगे).
फिर मैं धीरे-धीरे हेस्ट-हेस्ट . . कर . .. तभी . . . . मेरे . पर . लिए और मुझे . . गये. ये मेरी . . . थी.
मुझे . करते हुए वो 5 . तक मेरे . को ..
अब . क्या होता है, . के लिए अगले . का . .. . चुदाई . . . . रही है . ..