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- Dec 12, 2024
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रमण मेरे पति मेरी छूट अपना 7 इंच का लंड गपा गॅप अंदर बाहर कर र्हे थे. मैं भी अपनी दोनो टाँगे खोल कर उनसे अपनी छूट की चुदाई करवा र्ही थी. हम दोनो की शादी को आज 12 साल हो चुके थे, पर भी आज भी मेरे पति के लंड मे पूरा दम था.
जो मेरी छूट को इस तरह से जोरदार तरीके से छोड़ र्हे थे. मुझे भी बहोट मज़ा आ रा था, और साथ ही अपने पति पर इतना गेर्व था. क्योकि वो शादी के इतने साल के बाद भी मुझे इस तरीके से छोड़ र्हे थे. कुछ ही देर मे मेरी छूट का पानी निकल गया. मैने अपने पति को कस्स कर अपनी बाहों मे पकड़ लिया.
लंड के अंदर बाहर होने की वजह से मेरी छूट का पानी भी सारा बाहर निकालने लग गया. मेरी छूट का पानी मेरी गंद के छेड़ से होता हुआ नीचे बिस्तर पर गिर रा था. मुझे बहोट ही ज़्यादा मज़ा आ रा था. कुछ ही देर मे मेरे पति के लंड का भी पानी निकल गया.
वो एक दम से गिर गये और अपना सिर मेरे बूब्स पर र्ख कर वो सो गया. पर मेरा अभी गंद मरवाने का कर रा था. इसलिए मैं अपने हाथो से उनके चुटटरो पर फेरते हुए बोली.
मैं – जानू आज मेरी गंद मे अपना लंड गुस्सा दो नाअ, प्लीज़ कितने दीनो से मैं तुम्हे कह र्ही हूँ. मेरी गंद मे खुज़ली हो र्ही है.
रमण – न्ही जान आज न्ही प्लीज़, अब मेरे अंदर इतनी हिम्मत न्ही है. मैं कल मारूँगा तुम्हारी गंद प्लीज़ आज न्ही.
मैं – अरे जानू कल भी तुमने ये ही खा था, की मैं कल रात को मारूँगा. प्लीज़ अब मरो ना मेरी गंद प्लीज़ मरो.
रमण अपना लंड मेरी छूट मे से निकाला और बोला – मेरी जान प्लीज़ ज़्यादा फोर्स मत करो. कोई फ्यदा न्ही है, कल मेरी मेत्टिंग है. अब सो जाओ कल सोते है.
रमण ने ये कहते ही मूह फेर लिया और वो सो गये. अब मैं अकेली तड़पति रह गयइ, फिर मैने पास पड़ी मोमबति उठाई. और अपनी दोनो टाँगे खोल कर अपनी गंद मे मोमबति लेने लग गयइ. जब मेरी गंद को चीरते हुए मोमबति अंदर जा र्ही थी. तो मुझे कसम से बहोट ज़्यादा मज़ा आ रा था.
तभी मैं अपने दिमाग़ मे डोफेर वाला कांड याद करके और मज़े लेने लग गयइ. करीब 15 मिनिट तक मैने आचे से अपनी गंद की चुदाई मोमबति से करी और उसके बाद मेरी गंद की खुज़ली थोड़ी शांत हुई. पर डोफेर वाला कांड मेरे दिमाग़ से निकालने का नाम न्ही ले रा था.
दोस्तो अब मैं आपको सब कुछ शुरू से बतती हूँ. मेरा नाम उर्मिला है और मेरी उमर 36 साल है. मेरे पति के नाम रमण है और उनकी उमर 42 साल है, वो एक गॉव. जॉब करते है. उनकी पोस्ट कुछ ज़्यादा बड़ी न्ही है, पर उनकी उमर की कमाई इतनी है, की 5 साल के अंदर ही उन्होने एक शानदार खोती दल ली है.
और इतने बड़े घर मे सिर्फ़ वो और मैं अकेले ही रहते है. क्योकि अभी तक हुमारा कोई बचा न्ही है. मेरे सास ससुर गाओं मे रहते है. तभी मेरे पति को किसी ने एक सलाह दी, की वो पास के कॉलेज मे पढ़ें वेल दो लड़को को अपना एक रूम रेंट पर दे दो. इससे तुम्हारे पीछे घर मे मर्द भी रहनगे, और तुम्हे भाभी की टेन्षन न्ही होगी.
मेरे पति रमण को उसका ये आइडिया इतना अछा लगा की उसने अगले वीक मे ही दो लड़के नीचे वेल रूम मे र्ख लिए. हम दोनो उपेर वेल फ्लोर पर रहते थे. हुँने अपने नीचे के दो रूम सेट उन दो लड़को को रेंट पर दे दिए थे.
लड़के आचे घर के थे, इसलिए दोनो से हम 20000 रुपए रेंट के ले र्हे थे. दोनो लड़के दिखने मे आचे नेचर के लग र्हे थे. दोनो काफ़ी शांत नेचर के थे, एक नाम ऋतिक था और दूसरे का कमाल था.
लाइफ अची चल र्ही थी, मेरे पति मुझे दो दिन बाद छोड़ते थे. पर मुझे इसमे कोई दिकाट न्ही थी. क्योकि जिस दिन भी वो मेरी चुदाई करते थे, उस दिन वो मेरी आचे से तसली क्रा देते थे. पर सबसे बड़ी दिकाट सिर्फ़ एक ही थी, की वो एक बार मे सिर्फ़ एक ही चुदाई कर पाते थे.
मेरा मतलब की अगर वो छूट की चुदाई करते थे, तो सिर्फ़ एक दिन मे छूट की चुदाई कर पाते थे. वो मेरी गंद के छेड़ पर लंड तक न्ही र्खते थे. पर मुझे असली मज़ा दोनो छेड़ की चुदाई करवाने मे आता था.
क्योकि शादी के शुरू मे ही मेरे पति पहले मेरी आचे से छूट को छोड़ते थे. और उसके बाद वो मेरी गंद को छोड़ते थे. शुरू शुरू के दो महीने तो मुझे बहोट दर्द होता था. पर बाद मे मुझे इतना मज़ा आने लग गया, की रोज छूट और गंद की चुदाई करवाने लग गयइ.
पर धीरे ध्ीएरए करीब 3 साल बाद मेरे पति रमण के लंड का दम निकालने लग गया. अब उनके लंड मे ताक़त ख़तम होने लग गयइ थी. उसके बाद तो हाल ये था, की अगर वो कभी गंद मरते थे. तो सिर्फ़ और सिर्फ़ वो गंद ही मरते थे, छूट मरने का दम उनके लंड मे न्ही बचाता था. और सेम हाल छूट के साथ होता था.
इसलिए जब वो मेरी छूट मरते थे, तो मैं अपनी गंद की आग शांत करने के लिए. मैं अपनी गंद मे मोमबति घुसा कर अपनी गंद चुदाई करवाने लग जाती थी. अब मैं आपको वो बतती हूँ, की मेरे साथ डोफेर क्या हुआ था, जिससे मेरी छूट और गंद मे बुरी तरह से आग लग चुकी थी.
डर्सल उस सुबह ही रोज की तरह मेरे पति अपने ऑफीस मे चले गये थे. उनके जाने के बाद मैं अपने घर के काम करने लग गयइ. डोफेर के करीब 2 बजे चुके थे. मैं ऐसे ही बाहर निकली, तो देखा बहोट तेज़ धूप हो र्ही है. फिर मैने नीचे देखा तो गाते भी तोड़ा सा खुला हुआ था. और उन लड़को का डोर भी खुला हुआ था.
मुझे लगा की शायद किसी काम से बाहर गये हुए है. और डोर को बंद करना भूल गये है. नीचे डोर को बंद करने के गयइ, और जेसे ही मैं उनके रूम की तरफ गयइ, व्हन मैने ऋतिक को अंडरवेर मे बैठे हुए देखा.
मैं उसे इस हाल मे देख कर हैरान रह गयइ थी. और जेसे ही ऋतिक ने मुझे दरवाजे मे खड़े देखा तो एक दम घरबा सा गया और एक दम से बोला.
ऋतिक – क्या हुआ आंटी कोई काम था ?
मेरी नज़र उसके अंडरवेर पर जमी हुई थी और फिर मैं बोली – कुछ न्ही, मैं उपेर से डोर खुला देखा. इसलिए मैं नीचे आई, मुझे लगा की शायद दरवाजा खुला छ्चोड़ कर तुम दोनो किन चले गये हो.
ऋतिक – न्ही आंटी भला हुँने ख़ान जाना है. डर्सल गरमी बहोट है, और हवा चल र्ही है. इसलिए मैने दरवाजा खोल र्खा है.
मैं – ठीक है, और तुम्हारा दूरसा साथी ख़ान है ?
ऋतिक – अरे वो कमाल, आंटी कमाल की इस टाइम क्लास होती है. अब वो शाम के 6 बजे से पहले न्ही आएगा.
फिर मैं रितिके के अंडरवेर की तरफ इशारा करते हुए बोली – अछा वो सब तो ठीक है. पर तुमने ये क्या बनाया हुआ है, सिर्फ़ अंडरवेर मे क्यो बैठे हो तुम. कोई पाजामा या पंत पहें कर भी तो बैठ स्केट हो तुम. अगर कोई देखेगा तो भला क्या कहेगा ?
ऋतिक – आंटी जी क्या करूँ बहोट गर्मी है, हवा लगाने के लिए पंत निकली हुई है. और वेसए भी व्हन मर्दो के साइवा और कोई न्ही आता. और मुझे तो वेसए भी न्ही पता था, की आप यहाँ आ स्काती हो.
फिर मैं बिना कुछ कहे लास्ट बार उसके अंडरवेर आचे से देख कर वापिस मूड गयइ. और मैं उपेर अपने रूम मे चली गयइ. मैने ऋतिक के अंडरवेर को देख कर अंदाज़ा लगा लिया था, की ज़रूर उसका लंड बहोट बड़ा और मोटा है. क्योकि मुझे देख कर उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया था.
मैं ये सब देख कर काफ़ी गरम हो चुकी थी. इसलिए मैं जल्दी से अपने रूम मे गयइ और डोर को अंदर से बंद करके. मैं पूरी नंगी हो कर अपनी छूट को मसालने लग गयइ. फिर साथ ही मैने अपनी गंद मे मोमबति दल कर अपनी गंद को भी खुद ही छोड़ने लग गयइ. कुछ ही देर मे मेरी छूट का पानी निकल गया.
रात फिर मेरे पति आए और उन्होने मेरी छूट की चुदाई करी, जो मैने कहानी के शुरू मे ही आपको बीटीये दिया है. मेरे लाख कहने पर भी उन्होने मेरी गंद की चुदाई न्ही करी थी. अगले दिन उन्होने मीटिंग पर गये हुए थे.
और जब मैने ऋतिक से पूछा की तुम्हारा दोस्त ख़ान है, उसने भी कह दिया था. की वो शाम को आएगा. फिर मैने अपने पति को फोन किया और बोली.
मैं – जान आज रात को तुम्हारे लिए क्या बौं ?
रमण – जानू मैने सुबह बतया था ना, की मैं आज मेत्टिंग मे हूँ. तो मैं डिन्नर करके रात को 10 बजे से पहले न्ही आने वाला.
मैं – ठीक है ओक गुड बाइ.
इससे मुझे अपने पति की टेन्षन भी ख़तम हो चुकी थी. अब मुझे सिर्फ़ अपनी गंद मे ऋतिक का लंड घुस्वाना था. और उसके लिए अब मैं कुछ भी करने को त्यआर थी. इसलिए मैने अपने कपड़े डाले और सीधी नीचे चली गयइ.
मैने देखा की अब ऋतिक ने डोर को बंद कर किया हुआ था, मैं बाहर से आवाज़ लगाई. कुछ देर बाद ऋतिक ने डोर ओपन किया और मुझे देखते हुए बोला.
ऋतिक – क्या हुआ आंटी अब ?
मैं – अरे ऋतिक प्लीज़ दो मिनिट के लिए आना उपेर मेरा टीवी ओं ही न्ही हो रा है. क्या तुम उसे देख स्केट हो ?
ऋतिक – जी हन चलिए मैं देखता हूँ.
फिर वो मेरे पीछे पीछे मेरे साथ उपेर आ गया. मैं अंदर डोर आचे से बंद कर दिया. फिर वो टीवी ओं करने लग गया, और टीवी ओं हो गया और फिर वो बोला.
ऋतिक – ठीक तो चल रा है आंटी टीवी आपका.
मैं – चल तो रा है, पर थोड़ी देर बाद बंद हो जाता है. तुम एशिया करो, थोड़ी देर बैठो मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक ले कर आती हूँ. इतने मे ये बंद होगा तो तुम इस देख लेना.
रितकी – ठीक है आंटी जी.
फिर ऋतिक बैठ गया और मैं उसके लिए, कोल्ड ड्रिंक ले कर आ गयइ. मैं उसके पास छिपीक कर बैठ गयइ. मैं सोचने लग गयइ की अब मैं अपनी दिल की बात केसे इससे कहु. पर फिर मैने बात शुरू करते हुए उससे बोली.
मैं – वेसए ऋतिक तुम्हारी उमर कितनी है ?
ऋतिक – आंटी मैं 22 साल का हूँ.
ये सुनते ही मैं एक अंगड़ाई ली और उससे सामने मैने अपने बूब्स पूरे बाहर निकल लिए और वो मेरे बूब्स को देखने लग गया.
मैं – अछा जवान हो गये हो. पर मैं तो तुम्हे बचा साँझ र्ही थी.
ये सुन कर वो मुसकरुणे लग गया.
मैं – अछा शादी कब करनी है तुमने ?
ऋतिक – आंटी माना मैं अब बड़ा हो गया हूँ. पर मैं अभी अंदर से शादी के लायक न्ही हुआ हूँ.
मैं – क्यो तुमने ऐसा क्यो लगता है. कल मैने तुम्हारे अंडरवेर को आचे से देखा है. अब तुम्हारा काफ़ी बड़ा हो गया है, और शादी के लिए, ये एक दम पर्फेक्ट है.
ऋतिक एक दम से बोला – आंटी आपने क्या देख लिया ?
मैं – तुम्हारा लंड, जो मुझे सच मे काफ़ी बड़ा लग रा था/
ऋतिक ये सुन कर शरम से लाल हो गया और वो घरब्रा कर कँपने लग गया. मैने तभी उसका हाथ पकड़ा और बोली.
मैं – अछा क्या तुम मेरी एक हेल्प कर स्केट हो.
ऋतिक – हन आंटी बोलो ?
मैं – बतती हूँ, पर पहले तुम मेरे साथ अंदर चलो.
वो मेरे साथ बेडरूम मे आ गया. मैं बेडरूम का लॉक आचे से लगया और फिर मैने उसे बेड पर बिता कर उसके लंड पर हाथ र्ख कर बोली.
मैं – ऋतिक मेरी एक ऐसी जगह खुज़ली हो र्ही है. जहाँ सिर्फ़ तुम ही उसे मिटा स्केट हो. क्या तुम मेरी खुज़ली मिटा कर मेरी हेल्प करोगे ?
ऋतिक – ठीक है, पर आपके खुज़ली ख़ान हो र्ही है ?
मैने ये सुनते ही अपने सारे कपड़े निकल लिए और मैने उसके सामने ब्रा पनटी मे आ गयइ.
दोस्तो इससे आयेज क्या हुआ, केसे हुआ ये मैं आपको इस कहानी के अगले पार्ट मे ज़रूर ब्टौँगी.
जो मेरी छूट को इस तरह से जोरदार तरीके से छोड़ र्हे थे. मुझे भी बहोट मज़ा आ रा था, और साथ ही अपने पति पर इतना गेर्व था. क्योकि वो शादी के इतने साल के बाद भी मुझे इस तरीके से छोड़ र्हे थे. कुछ ही देर मे मेरी छूट का पानी निकल गया. मैने अपने पति को कस्स कर अपनी बाहों मे पकड़ लिया.
लंड के अंदर बाहर होने की वजह से मेरी छूट का पानी भी सारा बाहर निकालने लग गया. मेरी छूट का पानी मेरी गंद के छेड़ से होता हुआ नीचे बिस्तर पर गिर रा था. मुझे बहोट ही ज़्यादा मज़ा आ रा था. कुछ ही देर मे मेरे पति के लंड का भी पानी निकल गया.
वो एक दम से गिर गये और अपना सिर मेरे बूब्स पर र्ख कर वो सो गया. पर मेरा अभी गंद मरवाने का कर रा था. इसलिए मैं अपने हाथो से उनके चुटटरो पर फेरते हुए बोली.
मैं – जानू आज मेरी गंद मे अपना लंड गुस्सा दो नाअ, प्लीज़ कितने दीनो से मैं तुम्हे कह र्ही हूँ. मेरी गंद मे खुज़ली हो र्ही है.
रमण – न्ही जान आज न्ही प्लीज़, अब मेरे अंदर इतनी हिम्मत न्ही है. मैं कल मारूँगा तुम्हारी गंद प्लीज़ आज न्ही.
मैं – अरे जानू कल भी तुमने ये ही खा था, की मैं कल रात को मारूँगा. प्लीज़ अब मरो ना मेरी गंद प्लीज़ मरो.
रमण अपना लंड मेरी छूट मे से निकाला और बोला – मेरी जान प्लीज़ ज़्यादा फोर्स मत करो. कोई फ्यदा न्ही है, कल मेरी मेत्टिंग है. अब सो जाओ कल सोते है.
रमण ने ये कहते ही मूह फेर लिया और वो सो गये. अब मैं अकेली तड़पति रह गयइ, फिर मैने पास पड़ी मोमबति उठाई. और अपनी दोनो टाँगे खोल कर अपनी गंद मे मोमबति लेने लग गयइ. जब मेरी गंद को चीरते हुए मोमबति अंदर जा र्ही थी. तो मुझे कसम से बहोट ज़्यादा मज़ा आ रा था.
तभी मैं अपने दिमाग़ मे डोफेर वाला कांड याद करके और मज़े लेने लग गयइ. करीब 15 मिनिट तक मैने आचे से अपनी गंद की चुदाई मोमबति से करी और उसके बाद मेरी गंद की खुज़ली थोड़ी शांत हुई. पर डोफेर वाला कांड मेरे दिमाग़ से निकालने का नाम न्ही ले रा था.
दोस्तो अब मैं आपको सब कुछ शुरू से बतती हूँ. मेरा नाम उर्मिला है और मेरी उमर 36 साल है. मेरे पति के नाम रमण है और उनकी उमर 42 साल है, वो एक गॉव. जॉब करते है. उनकी पोस्ट कुछ ज़्यादा बड़ी न्ही है, पर उनकी उमर की कमाई इतनी है, की 5 साल के अंदर ही उन्होने एक शानदार खोती दल ली है.
और इतने बड़े घर मे सिर्फ़ वो और मैं अकेले ही रहते है. क्योकि अभी तक हुमारा कोई बचा न्ही है. मेरे सास ससुर गाओं मे रहते है. तभी मेरे पति को किसी ने एक सलाह दी, की वो पास के कॉलेज मे पढ़ें वेल दो लड़को को अपना एक रूम रेंट पर दे दो. इससे तुम्हारे पीछे घर मे मर्द भी रहनगे, और तुम्हे भाभी की टेन्षन न्ही होगी.
मेरे पति रमण को उसका ये आइडिया इतना अछा लगा की उसने अगले वीक मे ही दो लड़के नीचे वेल रूम मे र्ख लिए. हम दोनो उपेर वेल फ्लोर पर रहते थे. हुँने अपने नीचे के दो रूम सेट उन दो लड़को को रेंट पर दे दिए थे.
लड़के आचे घर के थे, इसलिए दोनो से हम 20000 रुपए रेंट के ले र्हे थे. दोनो लड़के दिखने मे आचे नेचर के लग र्हे थे. दोनो काफ़ी शांत नेचर के थे, एक नाम ऋतिक था और दूसरे का कमाल था.
लाइफ अची चल र्ही थी, मेरे पति मुझे दो दिन बाद छोड़ते थे. पर मुझे इसमे कोई दिकाट न्ही थी. क्योकि जिस दिन भी वो मेरी चुदाई करते थे, उस दिन वो मेरी आचे से तसली क्रा देते थे. पर सबसे बड़ी दिकाट सिर्फ़ एक ही थी, की वो एक बार मे सिर्फ़ एक ही चुदाई कर पाते थे.
मेरा मतलब की अगर वो छूट की चुदाई करते थे, तो सिर्फ़ एक दिन मे छूट की चुदाई कर पाते थे. वो मेरी गंद के छेड़ पर लंड तक न्ही र्खते थे. पर मुझे असली मज़ा दोनो छेड़ की चुदाई करवाने मे आता था.
क्योकि शादी के शुरू मे ही मेरे पति पहले मेरी आचे से छूट को छोड़ते थे. और उसके बाद वो मेरी गंद को छोड़ते थे. शुरू शुरू के दो महीने तो मुझे बहोट दर्द होता था. पर बाद मे मुझे इतना मज़ा आने लग गया, की रोज छूट और गंद की चुदाई करवाने लग गयइ.
पर धीरे ध्ीएरए करीब 3 साल बाद मेरे पति रमण के लंड का दम निकालने लग गया. अब उनके लंड मे ताक़त ख़तम होने लग गयइ थी. उसके बाद तो हाल ये था, की अगर वो कभी गंद मरते थे. तो सिर्फ़ और सिर्फ़ वो गंद ही मरते थे, छूट मरने का दम उनके लंड मे न्ही बचाता था. और सेम हाल छूट के साथ होता था.
इसलिए जब वो मेरी छूट मरते थे, तो मैं अपनी गंद की आग शांत करने के लिए. मैं अपनी गंद मे मोमबति घुसा कर अपनी गंद चुदाई करवाने लग जाती थी. अब मैं आपको वो बतती हूँ, की मेरे साथ डोफेर क्या हुआ था, जिससे मेरी छूट और गंद मे बुरी तरह से आग लग चुकी थी.
डर्सल उस सुबह ही रोज की तरह मेरे पति अपने ऑफीस मे चले गये थे. उनके जाने के बाद मैं अपने घर के काम करने लग गयइ. डोफेर के करीब 2 बजे चुके थे. मैं ऐसे ही बाहर निकली, तो देखा बहोट तेज़ धूप हो र्ही है. फिर मैने नीचे देखा तो गाते भी तोड़ा सा खुला हुआ था. और उन लड़को का डोर भी खुला हुआ था.
मुझे लगा की शायद किसी काम से बाहर गये हुए है. और डोर को बंद करना भूल गये है. नीचे डोर को बंद करने के गयइ, और जेसे ही मैं उनके रूम की तरफ गयइ, व्हन मैने ऋतिक को अंडरवेर मे बैठे हुए देखा.
मैं उसे इस हाल मे देख कर हैरान रह गयइ थी. और जेसे ही ऋतिक ने मुझे दरवाजे मे खड़े देखा तो एक दम घरबा सा गया और एक दम से बोला.
ऋतिक – क्या हुआ आंटी कोई काम था ?
मेरी नज़र उसके अंडरवेर पर जमी हुई थी और फिर मैं बोली – कुछ न्ही, मैं उपेर से डोर खुला देखा. इसलिए मैं नीचे आई, मुझे लगा की शायद दरवाजा खुला छ्चोड़ कर तुम दोनो किन चले गये हो.
ऋतिक – न्ही आंटी भला हुँने ख़ान जाना है. डर्सल गरमी बहोट है, और हवा चल र्ही है. इसलिए मैने दरवाजा खोल र्खा है.
मैं – ठीक है, और तुम्हारा दूरसा साथी ख़ान है ?
ऋतिक – अरे वो कमाल, आंटी कमाल की इस टाइम क्लास होती है. अब वो शाम के 6 बजे से पहले न्ही आएगा.
फिर मैं रितिके के अंडरवेर की तरफ इशारा करते हुए बोली – अछा वो सब तो ठीक है. पर तुमने ये क्या बनाया हुआ है, सिर्फ़ अंडरवेर मे क्यो बैठे हो तुम. कोई पाजामा या पंत पहें कर भी तो बैठ स्केट हो तुम. अगर कोई देखेगा तो भला क्या कहेगा ?
ऋतिक – आंटी जी क्या करूँ बहोट गर्मी है, हवा लगाने के लिए पंत निकली हुई है. और वेसए भी व्हन मर्दो के साइवा और कोई न्ही आता. और मुझे तो वेसए भी न्ही पता था, की आप यहाँ आ स्काती हो.
फिर मैं बिना कुछ कहे लास्ट बार उसके अंडरवेर आचे से देख कर वापिस मूड गयइ. और मैं उपेर अपने रूम मे चली गयइ. मैने ऋतिक के अंडरवेर को देख कर अंदाज़ा लगा लिया था, की ज़रूर उसका लंड बहोट बड़ा और मोटा है. क्योकि मुझे देख कर उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया था.
मैं ये सब देख कर काफ़ी गरम हो चुकी थी. इसलिए मैं जल्दी से अपने रूम मे गयइ और डोर को अंदर से बंद करके. मैं पूरी नंगी हो कर अपनी छूट को मसालने लग गयइ. फिर साथ ही मैने अपनी गंद मे मोमबति दल कर अपनी गंद को भी खुद ही छोड़ने लग गयइ. कुछ ही देर मे मेरी छूट का पानी निकल गया.
रात फिर मेरे पति आए और उन्होने मेरी छूट की चुदाई करी, जो मैने कहानी के शुरू मे ही आपको बीटीये दिया है. मेरे लाख कहने पर भी उन्होने मेरी गंद की चुदाई न्ही करी थी. अगले दिन उन्होने मीटिंग पर गये हुए थे.
और जब मैने ऋतिक से पूछा की तुम्हारा दोस्त ख़ान है, उसने भी कह दिया था. की वो शाम को आएगा. फिर मैने अपने पति को फोन किया और बोली.
मैं – जान आज रात को तुम्हारे लिए क्या बौं ?
रमण – जानू मैने सुबह बतया था ना, की मैं आज मेत्टिंग मे हूँ. तो मैं डिन्नर करके रात को 10 बजे से पहले न्ही आने वाला.
मैं – ठीक है ओक गुड बाइ.
इससे मुझे अपने पति की टेन्षन भी ख़तम हो चुकी थी. अब मुझे सिर्फ़ अपनी गंद मे ऋतिक का लंड घुस्वाना था. और उसके लिए अब मैं कुछ भी करने को त्यआर थी. इसलिए मैने अपने कपड़े डाले और सीधी नीचे चली गयइ.
मैने देखा की अब ऋतिक ने डोर को बंद कर किया हुआ था, मैं बाहर से आवाज़ लगाई. कुछ देर बाद ऋतिक ने डोर ओपन किया और मुझे देखते हुए बोला.
ऋतिक – क्या हुआ आंटी अब ?
मैं – अरे ऋतिक प्लीज़ दो मिनिट के लिए आना उपेर मेरा टीवी ओं ही न्ही हो रा है. क्या तुम उसे देख स्केट हो ?
ऋतिक – जी हन चलिए मैं देखता हूँ.
फिर वो मेरे पीछे पीछे मेरे साथ उपेर आ गया. मैं अंदर डोर आचे से बंद कर दिया. फिर वो टीवी ओं करने लग गया, और टीवी ओं हो गया और फिर वो बोला.
ऋतिक – ठीक तो चल रा है आंटी टीवी आपका.
मैं – चल तो रा है, पर थोड़ी देर बाद बंद हो जाता है. तुम एशिया करो, थोड़ी देर बैठो मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक ले कर आती हूँ. इतने मे ये बंद होगा तो तुम इस देख लेना.
रितकी – ठीक है आंटी जी.
फिर ऋतिक बैठ गया और मैं उसके लिए, कोल्ड ड्रिंक ले कर आ गयइ. मैं उसके पास छिपीक कर बैठ गयइ. मैं सोचने लग गयइ की अब मैं अपनी दिल की बात केसे इससे कहु. पर फिर मैने बात शुरू करते हुए उससे बोली.
मैं – वेसए ऋतिक तुम्हारी उमर कितनी है ?
ऋतिक – आंटी मैं 22 साल का हूँ.
ये सुनते ही मैं एक अंगड़ाई ली और उससे सामने मैने अपने बूब्स पूरे बाहर निकल लिए और वो मेरे बूब्स को देखने लग गया.
मैं – अछा जवान हो गये हो. पर मैं तो तुम्हे बचा साँझ र्ही थी.
ये सुन कर वो मुसकरुणे लग गया.
मैं – अछा शादी कब करनी है तुमने ?
ऋतिक – आंटी माना मैं अब बड़ा हो गया हूँ. पर मैं अभी अंदर से शादी के लायक न्ही हुआ हूँ.
मैं – क्यो तुमने ऐसा क्यो लगता है. कल मैने तुम्हारे अंडरवेर को आचे से देखा है. अब तुम्हारा काफ़ी बड़ा हो गया है, और शादी के लिए, ये एक दम पर्फेक्ट है.
ऋतिक एक दम से बोला – आंटी आपने क्या देख लिया ?
मैं – तुम्हारा लंड, जो मुझे सच मे काफ़ी बड़ा लग रा था/
ऋतिक ये सुन कर शरम से लाल हो गया और वो घरब्रा कर कँपने लग गया. मैने तभी उसका हाथ पकड़ा और बोली.
मैं – अछा क्या तुम मेरी एक हेल्प कर स्केट हो.
ऋतिक – हन आंटी बोलो ?
मैं – बतती हूँ, पर पहले तुम मेरे साथ अंदर चलो.
वो मेरे साथ बेडरूम मे आ गया. मैं बेडरूम का लॉक आचे से लगया और फिर मैने उसे बेड पर बिता कर उसके लंड पर हाथ र्ख कर बोली.
मैं – ऋतिक मेरी एक ऐसी जगह खुज़ली हो र्ही है. जहाँ सिर्फ़ तुम ही उसे मिटा स्केट हो. क्या तुम मेरी खुज़ली मिटा कर मेरी हेल्प करोगे ?
ऋतिक – ठीक है, पर आपके खुज़ली ख़ान हो र्ही है ?
मैने ये सुनते ही अपने सारे कपड़े निकल लिए और मैने उसके सामने ब्रा पनटी मे आ गयइ.
दोस्तो इससे आयेज क्या हुआ, केसे हुआ ये मैं आपको इस कहानी के अगले पार्ट मे ज़रूर ब्टौँगी.