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Incest पंजाबी परिवार

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ज्योति ने अपने आप को मिरर में देखा, उसकी 34द साइज़ की आंपल ब्रेस्ट्स शाम की उम्मीद से भर गयी. उसको पता था की उसका पति अमर आज रात लाते तक काम कर रहा है, और उसके पास अपनी खुद की योजनाएँ थी. 42 की उम्र में, उसका वलप्चयस फिगर एक प्राइम में वुमन की तरह था, उसकी 36 इंच की वेस्ट फैल गयी थी, जो उसकी चलाई हुई हिप्स की तरह था.

उसकी त्वचा गरम, सूर्या-किस्ड ब्राउन कलर की थी जैसे राइप माँगो की होती है, और उसकी लंबे, काले बाल उसके पीठ पर एक डार्क वॉटरफॉल की तरह बह रहे थे. उसकी अरेवलए छाई के कलर की थी, जो उसकी च्चातियों के पेलेनेस से पूरी तरह अलग थी, और उसकी निपल्स खड़ी और सेन्सिटिव थी, जो टीज़ होने का माँग कर रही थी.

उसके विचार उसकी स्टेपसन कालू की तरफ गये, जो उसने एक से ज़्यादा बार देखा था. वो 37 साल का एक रोबस्ट आदमी था, जिसके थिक काले दाढ़ी थी और एक पेनिस जिसका अफवाह थी की वो काफ़ी लंबा है. ज्योति ने अक्सर अपने आप को उसके बारे में सोचते हुए पाया जब वो अकेली होती थी, उसका हाथ उसकी शेव्ड माउंड को खुद ही प्लेषर देने के लिए जाता था.

उसकी आँखें, डार्क और वो शरारत से भरा हुआ था, उसने अपनी इक्चाओ का संकेत दिया था, और उससे ये पता था की आकर्षण एक-तरफ़ा नही था. उसकी उस पर देखने की तरह, एक भूक जो च्चिप नही सकती थी, उसके योनि को गरम कर रही थी और उसकी नुबसफुटत को भागती हुई. उसने उसे उससे अधिक समय तक घूर्न्ते हुए पकड़ा जब वो अपनी फरेबिक पहें के घर में घूम रही थी, उसके स्तन कमजोर कपड़े से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे.

जब वो अपना श्रीनगर फिर से कर रही थी, उसने एग्ज़ाइट्मेंट की लहर महसूस की. उससे ये पता था की कालू जल्दी ही घर लौटेगा, और उसने उनकी मुलाक़ात के लिए स्टेज को अची तरह से तय्यार कर दिया था. घर शांत था, बाकी परिवार के लोग रात भर बाहर थे.

उसने गुलाब की पंखुड़ी छ्चोड़ दी थी, जो सामने के दरवाजे से उसके कमरे तक जेया रही थी, जहाँ उसने मोमबत्तियाँ जलाई थी और अपने पसंदीदा सुगंधित तेल की बोतल को आसानी से पहुचने वाली जगह पर रखी थी. उसकी धड़कन तेज हो गयी सोच कर की उसकी मजबूत, कठोर हाथों पर उसके शरीर पर, उसके नर्म, गोल आकर को हर इंच तक जाँचने.

कालू अंदर चला आया, उसकी आँखें तुरंत पंखुड़ियो के रास्ते की तरफ खीच गयी. उसके होंठो पर जान पहचाने वाली मुस्कुराहट खेलती रही जब वह उन्हे ज्योति के कमरे तक पा जाता. उसने समझा क्या मतलब है, और उसका लिंग उसके पंत में फूलने लगा. उसने अपना समय लिया, हवा में घनी उमंग का मज़ा लेते हुए.

जब उसने दरवाज़ा खोल दिया, उसके सामने जो दृश्या था वो उसकी सासें ले गया. ज्योति बिस्तर पर लेती हुई थी, सिर्फ़ एक पतली, परच्छाई दिखाई देने वाली नेग्लिजी पह्न के जो उसके भारी हुई फिगर को सिर्फ़ नामा के लिए धक रही थी. हर साँस के साथ उसके स्तन उभर रहे थे, वस्त्रा उसके निपल्स को चुंबन के समान चिपका हुआ था.

“कालू,” उसने कहकर पूरी, उसकी आँखें आधी बंद होकर निमंत्रण दे रही थी. “मैं आपका इंतेज़ार कर रही हूँ.”

कालू कमरे में घुसा, उसकी दृष्टि ज्योति के स्थूल शरीर की तरफ तेज़ी से दौड़ गयी. उसका अपना लिंग उसके पंत के वस्त्रा के खिलाफ टन गया, च्छुतकारा माँगने लगा. “मा,” उसने कहा, प्यारे के तौर पर अधिकारीकता जब वह बिस्तर की तरफ बढ़ रहा था.

ज्योति की साँस अटकी जब वह उसका देख रही थी, उसका हाथ नेग्लिजी के नीचे चले गया ताकि वह उसे खुद को टीज़ करे.”मुझे वैसा मत बुला,” उसने सिसकरते हुए कहा, उसकी आवाज़ ज़रूरत से भारी हुई. “आज रात नही.”

उसने उसे झुका कर अपने कठोर हाथों से उसके फयडे मंद हिप्स की आउटलाइन बनाई और उपर उसके स्तन को पकड़ा. उसकी अँगुलिया उसके ताने हुए निपल्स पर फीसी, खुशी के चिंगारी सीधे उसके बीच भेजते हुई. “तो मैं तुम्हे क्या बूलौऊन?” उसने पूछा, उसकी आवाज़ इच्छा से गदगद.

“मुझे…ज्योति बुला,” उसने कराहते हुए कहा, उसके स्पर्श की तरफ झुकती हुई.

कालू ने अपने इक्चाओ का समर्थन दिया और उसने उसे गहराई से चूमा, उसका दाढ़ी उसके नरम त्वचा को छू रही थी, जो उसके रीड की हड्डी मे रोमांचक कँपने भेज रही थी. उसका हाथ उसकी निघट्य के किनारे तक पहुचा और उसे उपर कर दिया, उसका गोल, मोटा योनि को धक्का दे के, जो पहले से ही उत्तेजना से चमक रही थी. उसने अपनी उंगली उसके अंदर डाल दी, जिसे इतने समय से उससे च्छूपा रखा गया था. ज्योति का योनि एक गरम, महीन समेटने वाला दबाव था, जो उसको दबाने लगा जब वो अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगा.

“कालू,” उसने गॅस किया, उसकी आँखें भारी हुई पॅशन से. “मैं तुम्हे चाहती हूँ.”

उसने और कोई प्रोत्साहन नही किया. उसने अपने कपड़े उतार दिए, उसका मोटा, कटा हुआ लिंग दिखाते हुए, उसका सिर काला और लाल हो गया. यह सच था, उसने परिवार की विशेषता का अनुवांश लिया था, और वो ये जनता था की उसे किस तरह से इस्तेमाल करना है एक औरत को संतुष्ट करने के लिए. वो बिस्तर पर चाड गया, अपना लिंग मोमबत्ती की रोशनी मे लिहार रहा था, और खुद को उसकी जाँघो के बीच में स्थिति दी.

ज्योति की आँखे उसके लिंग को कभी नही छ्चोड़ती जब तक वो उसके पास आता था. वो उसके अंदर लेने के विचार से भयभीत और रोमांचित थी. उसका अपना पति का अंग उसकी तुलना मे सामानया था, और उसने पहले कभी ऐसा महसूस नही किया था. लेकिन जब भी उसने अपने हाथ से उसकी क्लिट को स्ट्रोक किया, वो गीली होती जा रही थी, उसकी छूट उसके अंदर घुसने के लिए तरस रही थी.

“तुम त्यार हो?” कालू पूछा, उसकी आवाज़ कम और कठोर थी.

“हन,” ज्योति सांस भरते हुए कहा, अपने पैरों को और ज़्यादा फैला दिया.

एक तेज़ धक्के से, कालू ने उसके अंदर प्रवेश किया, उसे पूरी तरह से भर दिया. ज्योति की आँखें सिर के पीछे चली गयी जब उसने उसके लंबाई का एहसास लिया, अपने आपको उसकी मोटाई के आसपास फैलते हुए महसूस किया. वो टाइट थी, जैसे एक मुक्का, उसकी आंद्रूणई दीवारें उसके आसपास कांप रही थी.

“ओह, ज्योति,” उसने भारी भारी आवाज़ में कहा, उसकी कमर एक समान्तर ले में हिल रही थी. “तुम बहुत आक्ची लग रही हो.”

ज्योति ने अपने हाथ उसके गर्दन के आस पास लपेटा, जब वो हर धक्के से मिलती थी, उसकी नाख़ून उसके पीठ मे घुस रही थी. उसकी दाढ़ी उसकी त्वचा को गुदगुदा रही थी, एक एक्सट्रा सेन्सेशन लेयर को जोड़ते हुए जब उनके शरीर एक साथ घुल गये. उसने उसकी गर्दन पर किस किया, उसके दांतो का उसकी सेन्सिटिव त्वचा को चूना, और वो महसूस कर सकती थी की उसका क्लाइमॅक्स बन रहा है, उसके पेट मे तनाव हर पल अधिक टाइट होता जा रहा था.

“कालू,” वो कराह उठी, उसकी कूल्हे उसके मिलने के लिए उठ गये. “रूको मत.”

उसने नही रोका. वो उसमे घुसा, उनकी माँस एक दूसरे से टकराने लगी, पॅशन का सिंफनी बनाते हुए. ज्योति महसूस कर सकती थी उसका ऑर्गॅज़म आता हुआ, जैसे एक वेव उस पर क्रॅश होता हुआ. और जब वो झाड़ गयी, उसकी योनि उस पर कस गयी, उसकी वॉल्स उसके लिंग को घेर लिए.

उसकी खुशी का नज़ारा कालू के लिए बहुत ज़्यादा था. उसने आखरी बार धक्का मारा, अपने आपको पुर के पुर उसमे घुसा लिया, और उसके अंदर ही झाड़ गया, उसका वीर्या उसको पूरा भर देता हुआ.

वह वहाँ लेते थे, साँसें भारी हुई और थके हुए, उनके शरीर अभी भी एक दूसरे में लिपटे हुए थे. मोमबत्तियाँ टिमटिमाह रही थी, उनके पसीने से भरे हुए त्वचा पर साए डाल रही थी.

“यह.. अद्भुत था,” ज्योति ने कहा, उसकी आवाज़ अभी भी उसके ऑर्गॅज़म के बाल से कांप रही थी.

कालू ने उसे फिर से चूमने के लिए झुक गया, उसकी आँखों में कामुकता और कुछ और भर गया. कुछ ऐसा जिसने ज्योति के हृदय को मचल दिया. “यह तो सिर्फ़ शुरुआत है,” उसने सिसकी. “हमारी छ्होटी सी राज़.”

और इसके साथ, दोनो को यह समझ आया की यह वर्जित भेंट दूर तक समाप्त होने से रही. उनके बीच का रसायन स्पष्ट था, और वह इच्छा जो इतने समय तक उबाल रही थी, अब आख़िरकार उबाल पड़ी थी. वह अपनी कामुकता की गहराई को जानने का जारी रखेगे, अपने परिवार की जासूसी आँखो से च्छूपा हुआ.
 
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