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- Dec 12, 2024
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हे फ्रेंड्स, मेरी फॅमिली सेक्स स्टोरी में आपका स्वागत है. मेरा नाम चिराग है. मैं कानपुर का रहना वाला हू, और मेरी आगे 25 है. अभी मैं बॅंकाक में रहता हू, और जॉब करता हू मंक कंपनी में कोविद के बाद से अपनी वाइफ चंदा के साथ. वो बहुत खूबसूरत है और सेक्सी भी. और अपने आप को पूरा मेनटेन रखती है.
चंदा की आगे 46 है. आप लोग सोच रहे होंगे की मैं क्या बोल रहा हू. मैं 25 का और चंदा 46 की, यही ना? चलिए मैं आपको अपनी लाइफ के हसीन पलों की तरफ ले चलता हू, और बताता हू चंदा के बारे में.
ये स्टोरी आज से करीब 6 साल पहले चालू हुई थी, जब मैने पहली बार अपनी मों को दाद के साथ चुड़वते हुए देखा था. मों पूरी नंगी थी, और पापा मों के डूडू चूस रहे थे. मों के डूडू चूसने के बाद पापा ने मों की छूट में अपना लंड डाला, और कुछ मिनिट्स में ही पापा का पानी निकल गया.
वो मेरी लाइफ का फर्स्ट टाइम था जब मैने ये सब देखा, और उसके बाद से ही मैं अपनी मों के लिए फॅंटेसी करने लगा. मेरे मों आंड दाद की लोवे मॅरेज हुई थी. लेकिन बिस्तेर में पापा जल्दी ठंडे पद जाते थे, और मों को अपनी उंगली डाल कर अपनी छूट को मसल कर अपनी छूट की प्यास बुझानी पड़ती.
ये सब देख कर मैं मों के लिए हमेश फॅंटेसी करता, और सोचता की मों को पापा आचे से नही छोड़ पाते थे. मुझे जब भी कभी मौका मिलता उसका बदन ताड़ने का, मैं देखता था. मेरे मों की 36द साइज़ की चुचियाँ, 30″ की कमर, और सेक्सी गोल एक-दूं चिकनी गांद थी.
मों की हाइट 5’5″, और उसका वेट 59 क्ग था. मुझे अपनी मों को ताड़ते हुए, और उसके लिए मूठ मारते हुए मेरी लाइफ के करीब 3 साल बीट चुके थे. मेरे दिल में अब मेरी मों के लिए अलग जगह बन गयी थी.
मेरे दाद का बिज़्नेस था, लेकिन उनका बिज़्नेस अछा नही चल रहा था. फिर कुछ टाइम के बाद उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी, और एक बुरा दिन आया जिस दिन मेरे दाद ये दुनिया छ्चोढ़ के चले गये अचानक. तब हम सब लोग एक तरह से रोड पर आ गये थे. क्यूंकी पापा के उपर काफ़ी कर्ज़ा था, और लाइफ हमारी काफ़ी टफ हो गयी थी.
मेरे एक बड़ी बेहन भी है नेहा, वो भी खूबसूरत और सेक्सी है. पापा के जाने के बाद दीदी जॉब करने लगी, और मैं भी पार्ट टाइम जॉब करने लगा. मों भी किसी तरह से कुछ काम करके अपनी लाइफ में बिज़ी हो गयी थी. मैं जॉब के साथ पढ़ाई भी करता, और कुछ टाइम के लिए मेरे दिमाग़ से मेरे मों का भूत उतार गया.
अब मेरी लाइफ का मक़सद बन गया की मुझे कैसे भी करके आचे से पढ़ाई करनी थी, और जॉब करनी थी. और मैं सक्सेस्फुल भी हो गया अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट करने में आचे मार्क्स से. मैं मुंबई आ गया और लकिली मुझे अची जॉब भी मिल गयी. स्टार्टिंग में मेरी सॅलरी कम थी, लेकिन 1 साल के अंदर मेरी सॅलरी काफ़ी अची हो गयी, और मेरे फॅमिली भी काफ़ी खुश थी.
करीब 13 महीने के बाद मैं वापस कानपुर गया, और वहाँ का नज़ारा देख कर मैं डांग रह गया. मेरी फॅमिली तो काफ़ी खुश थी. नेहा दीदी का चक्कर अपने बॉस के साथ चल रहा था, जो नेहा दीदी से करीब 18 साल बड़ा था, और मेरी मों को भी कोई फराक नही पद रहा था.
वो कहती: ये नेहा की पर्सनल लाइफ है और वो समझदार है. खुद अपने डिसिशन ले सकती है.
इधर कानपुर आने के बाद मों को देख कर मेरे अंदर का प्यासा मर्द फिर से जाग गया. दाद के जाने के बाद मों जीन्स और त-शर्ट भी पहनने लगी थी कभी-कभी. मेरी इनकम की वजह से घर की पल्ब भी ख़तम हो गयी थी, और वो खुश भी रहने लगी थी.
मैं जब कानपुर आया तो मों को देख कर मैने मूठ मारी अपनी मों के नाम की. सच बतौ दोस्तों, तो वो ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थी, और अपने आपको प्रॉपर मेनटेन रखा हुआ था आस ऑल्वेज़. वो डाइयेट का भी ख़याल रखती जिसकी वजह से वो हमेशा चमकती रहती थी.
उसका खूबसूरत बदन, उसकी 36ब साइज़ की चुचियाँ, और उसकी मस्त गोल-गोल सेक्सी गांद का मैं दीवाना बन गया था, और धीरे-धीरे मैं अपनी मों से प्यार करने लगा, और उसे अपना बनाने की फॅंटेसी करने लगा.
मेरी ये फॅंटेसी के लिए मैं पागल हो गया, और अपनी मों को मैं डेली ताड़ने लगा. मैं डेली उसके लिया मूठ मारता. अपनी मों की ब्रा-पनटी को मैं सूंघटा और उस पर मूठ निकालने लगा. धीरे-धीरे मेरी मों मेरा जुनून बन गयी, और मैं उसे अपना बना लेना चाहता था.
यही करते-करते मैं स्टार्टिंग में उसके साथ डबल मीनिंग बात करने लगा मौका देख कर. उसका रिक्षन बहुत अछा नही था, पर वो कुछ बोलती नही थी. फिर एक दिन मैने उसके बर्तडे पर गोआ का प्लान बनाया, जहाँ पर मैं और मेरी मों गये. वहाँ पर मैने अपनी मों को ड्रिंक पीने के लिए मनाया, और मैं उसके साथ क्लब में भी गया.
उस दिन मों ने स्कर्ट आंड टॉप पहना था, और वो बहुत हॉट लग रही थी. क्लब में हमने काफ़ी मस्ती की, डॅन्स किया, फुल ओं एंजाय किया, और केक काटा. केक काटने के बाद हम लोग होटेल वापस आ गये, और मैने अपनी मों को एक गिफ्ट दिया. उसमे एक रिंग थी.
फिर मैने हिम्मत करके अपनी मों को प्रपोज़ किया, और उसे फर्स्ट टाइम मैने ‘चंदा’, उसके नाम से उसे बुलाया. मेरी बात सुन कर उसका दिमाग़ . गया, और वो मेरे से . हो गयी, और नेक्स्ट दे उसने वापस . के लिए कहा.
मैने उसे समझाया और वो मेरे उपर बहुत गुस्सा हुई. फिर हम लोग वापस कानपुर आ गये, जिसके बाद से वो मेरे से . बनाने लगी. फिर मैं उसे एक्सप्लेन करने लगा और ट्राइ कर रहा था की वो मान जाए. लेकिन उसने सॉफ माना कर दिया की ये पासिबल नही था, और मैं ये सब सोच भी कैसे सकता था.
.: तुम मेरे . हो, और तुम मुझे प्रपोज़ कर रहे हो. . बुरा सोचते हो तुम अपनी खुद की मों के लिए. तुम्हे शरम आनी चाहिए.
और उसने मुझे वापस मुंबई जाने के लिए कह दिया. चंदा ने मेरे से बात करनी भी बंद कर दी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. मेरी फॅमिली सेक्स स्टोरी के बारे में आपका क्या ख़याल है, ज़रूर बताना.
चंदा की आगे 46 है. आप लोग सोच रहे होंगे की मैं क्या बोल रहा हू. मैं 25 का और चंदा 46 की, यही ना? चलिए मैं आपको अपनी लाइफ के हसीन पलों की तरफ ले चलता हू, और बताता हू चंदा के बारे में.
ये स्टोरी आज से करीब 6 साल पहले चालू हुई थी, जब मैने पहली बार अपनी मों को दाद के साथ चुड़वते हुए देखा था. मों पूरी नंगी थी, और पापा मों के डूडू चूस रहे थे. मों के डूडू चूसने के बाद पापा ने मों की छूट में अपना लंड डाला, और कुछ मिनिट्स में ही पापा का पानी निकल गया.
वो मेरी लाइफ का फर्स्ट टाइम था जब मैने ये सब देखा, और उसके बाद से ही मैं अपनी मों के लिए फॅंटेसी करने लगा. मेरे मों आंड दाद की लोवे मॅरेज हुई थी. लेकिन बिस्तेर में पापा जल्दी ठंडे पद जाते थे, और मों को अपनी उंगली डाल कर अपनी छूट को मसल कर अपनी छूट की प्यास बुझानी पड़ती.
ये सब देख कर मैं मों के लिए हमेश फॅंटेसी करता, और सोचता की मों को पापा आचे से नही छोड़ पाते थे. मुझे जब भी कभी मौका मिलता उसका बदन ताड़ने का, मैं देखता था. मेरे मों की 36द साइज़ की चुचियाँ, 30″ की कमर, और सेक्सी गोल एक-दूं चिकनी गांद थी.
मों की हाइट 5’5″, और उसका वेट 59 क्ग था. मुझे अपनी मों को ताड़ते हुए, और उसके लिए मूठ मारते हुए मेरी लाइफ के करीब 3 साल बीट चुके थे. मेरे दिल में अब मेरी मों के लिए अलग जगह बन गयी थी.
मेरे दाद का बिज़्नेस था, लेकिन उनका बिज़्नेस अछा नही चल रहा था. फिर कुछ टाइम के बाद उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी, और एक बुरा दिन आया जिस दिन मेरे दाद ये दुनिया छ्चोढ़ के चले गये अचानक. तब हम सब लोग एक तरह से रोड पर आ गये थे. क्यूंकी पापा के उपर काफ़ी कर्ज़ा था, और लाइफ हमारी काफ़ी टफ हो गयी थी.
मेरे एक बड़ी बेहन भी है नेहा, वो भी खूबसूरत और सेक्सी है. पापा के जाने के बाद दीदी जॉब करने लगी, और मैं भी पार्ट टाइम जॉब करने लगा. मों भी किसी तरह से कुछ काम करके अपनी लाइफ में बिज़ी हो गयी थी. मैं जॉब के साथ पढ़ाई भी करता, और कुछ टाइम के लिए मेरे दिमाग़ से मेरे मों का भूत उतार गया.
अब मेरी लाइफ का मक़सद बन गया की मुझे कैसे भी करके आचे से पढ़ाई करनी थी, और जॉब करनी थी. और मैं सक्सेस्फुल भी हो गया अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट करने में आचे मार्क्स से. मैं मुंबई आ गया और लकिली मुझे अची जॉब भी मिल गयी. स्टार्टिंग में मेरी सॅलरी कम थी, लेकिन 1 साल के अंदर मेरी सॅलरी काफ़ी अची हो गयी, और मेरे फॅमिली भी काफ़ी खुश थी.
करीब 13 महीने के बाद मैं वापस कानपुर गया, और वहाँ का नज़ारा देख कर मैं डांग रह गया. मेरी फॅमिली तो काफ़ी खुश थी. नेहा दीदी का चक्कर अपने बॉस के साथ चल रहा था, जो नेहा दीदी से करीब 18 साल बड़ा था, और मेरी मों को भी कोई फराक नही पद रहा था.
वो कहती: ये नेहा की पर्सनल लाइफ है और वो समझदार है. खुद अपने डिसिशन ले सकती है.
इधर कानपुर आने के बाद मों को देख कर मेरे अंदर का प्यासा मर्द फिर से जाग गया. दाद के जाने के बाद मों जीन्स और त-शर्ट भी पहनने लगी थी कभी-कभी. मेरी इनकम की वजह से घर की पल्ब भी ख़तम हो गयी थी, और वो खुश भी रहने लगी थी.
मैं जब कानपुर आया तो मों को देख कर मैने मूठ मारी अपनी मों के नाम की. सच बतौ दोस्तों, तो वो ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थी, और अपने आपको प्रॉपर मेनटेन रखा हुआ था आस ऑल्वेज़. वो डाइयेट का भी ख़याल रखती जिसकी वजह से वो हमेशा चमकती रहती थी.
उसका खूबसूरत बदन, उसकी 36ब साइज़ की चुचियाँ, और उसकी मस्त गोल-गोल सेक्सी गांद का मैं दीवाना बन गया था, और धीरे-धीरे मैं अपनी मों से प्यार करने लगा, और उसे अपना बनाने की फॅंटेसी करने लगा.
मेरी ये फॅंटेसी के लिए मैं पागल हो गया, और अपनी मों को मैं डेली ताड़ने लगा. मैं डेली उसके लिया मूठ मारता. अपनी मों की ब्रा-पनटी को मैं सूंघटा और उस पर मूठ निकालने लगा. धीरे-धीरे मेरी मों मेरा जुनून बन गयी, और मैं उसे अपना बना लेना चाहता था.
यही करते-करते मैं स्टार्टिंग में उसके साथ डबल मीनिंग बात करने लगा मौका देख कर. उसका रिक्षन बहुत अछा नही था, पर वो कुछ बोलती नही थी. फिर एक दिन मैने उसके बर्तडे पर गोआ का प्लान बनाया, जहाँ पर मैं और मेरी मों गये. वहाँ पर मैने अपनी मों को ड्रिंक पीने के लिए मनाया, और मैं उसके साथ क्लब में भी गया.
उस दिन मों ने स्कर्ट आंड टॉप पहना था, और वो बहुत हॉट लग रही थी. क्लब में हमने काफ़ी मस्ती की, डॅन्स किया, फुल ओं एंजाय किया, और केक काटा. केक काटने के बाद हम लोग होटेल वापस आ गये, और मैने अपनी मों को एक गिफ्ट दिया. उसमे एक रिंग थी.
फिर मैने हिम्मत करके अपनी मों को प्रपोज़ किया, और उसे फर्स्ट टाइम मैने ‘चंदा’, उसके नाम से उसे बुलाया. मेरी बात सुन कर उसका दिमाग़ . गया, और वो मेरे से . हो गयी, और नेक्स्ट दे उसने वापस . के लिए कहा.
मैने उसे समझाया और वो मेरे उपर बहुत गुस्सा हुई. फिर हम लोग वापस कानपुर आ गये, जिसके बाद से वो मेरे से . बनाने लगी. फिर मैं उसे एक्सप्लेन करने लगा और ट्राइ कर रहा था की वो मान जाए. लेकिन उसने सॉफ माना कर दिया की ये पासिबल नही था, और मैं ये सब सोच भी कैसे सकता था.
.: तुम मेरे . हो, और तुम मुझे प्रपोज़ कर रहे हो. . बुरा सोचते हो तुम अपनी खुद की मों के लिए. तुम्हे शरम आनी चाहिए.
और उसने मुझे वापस मुंबई जाने के लिए कह दिया. चंदा ने मेरे से बात करनी भी बंद कर दी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. मेरी फॅमिली सेक्स स्टोरी के बारे में आपका क्या ख़याल है, ज़रूर बताना.