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Naukar-Naukrani अपनी बेटी की छूट का भोंसड़ा बनते देखा 1

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नमस्ते रीडर्स, मैं थोर आपके लिए अपने एक रीडर की रियल सेक्स स्टोरी लेके आया हू. उनको लिखना नही आता, तो मैं उनके लिए लिख रहा हू.

मुझे बहुत से रीडर्स के मेसेज आते है जो कहानी लिख नही सकते, तो अब से मैं उनकी कहानियाँ आप तक पहुँच्ौँगा. अब कहानी शुरू करता हू-

मेरा नाम कमलेश कुमार है. मैं उ.प. का रहने वाला हू. मेरी उमर 52 साल है, और मैं अपनी बेटी की चुदाई कहानी आप सब को बताना चाहता हू. चलिए मैं शुरू करता हू कहानी.

दोस्तों छ्होटे होते मैं बहुत शरारती था. मैं एक साधारण से परिवार से था. मेरे घर वालो ने मुझे स्कूल भेजा लेकिन मैने पढ़ाई में बिल्कुल भी ध्यान नही दिया.

स्कूल वालो की शिकायतें बढ़ती गयी, और आख़िर-कार उन्होने मुझे स्कूल से निकाल दिया. लेकिन मुझे फिर भी शरम नही आई.

कुछ काम नही आता था तो रिक्शा चलाने लग गया. जवानी का जोश था, तो बीड़ी, शराब की आदत लग गयी.

मुझे घर वालो ने घर से निकाल दिया, लेकिन मुझे फिर भी शरम नही आई. फिर मैं किराए के घर में रहने लगा. एक लड़की से मेरा टांका भीड़ गया, और मैने उसको छोड़ कर पेट से कर दिया.

उसके पेट से होने की वजह से उसके घर वालो को मजबूरन उसकी शादी मुझसे करनी पड़ी.

फिर उसके घर वालो की मदद से मैने एक छ्होटा सा घर लिया. 9 महीने बाद मेरे घर में बेटी हुई.

उसका नाम हमने कोयल रखा. वक़्त बीट-ता गया, और मेरा शरीर बुद्धा होने लगा. अब मुझे अपनी की गयी ग़लतियों का एहसास होने लगा.

मेरी बेटी बड़ी होती जेया रही थी, और क्यूंकी मैने अपनी ज़िंदगी में कुछ ढंग का नही किया था, तो वो मेरी इज़्ज़त नही करती थी.

इसी तरह 23 साल बीट गये. जैसे-तैसे मैने बेटी को ग्रॅजुयेशन करवा दी. इसी दौरान मेरी बीवी मुझे अकेला छ्चोढ़ कर इस दुनिया से चली गयी. अब मैं और मेरी बेटी ही घर पर थे.

मेरी बेटी के बारे में बतौ, तो उसका रंग ठीक-ठीक गोरा है. शरीर भरा हुआ है. उसका फिगर तकरीबन 34-30-36 होगा.

ये मुझे इसलिए पता है, क्यूंकी मैने बहुत बार बातरूम में उसकी ब्रा पनटी पर लिखा हुआ देखा है. मेरी बेटी होशियार भी है. उसके काफ़ी आचे नंबर आए थे ग्रॅजुयेशन में.

पढ़ाई करने के बाद मेरी बेटी नौकरी करने लगी. लेकिन आज तक भी वो मेरी इज़्ज़त नही करती थी. मैं चाहे उससे जीतने भी प्यार से बात करता, लेकिन वो हमेशा मुझे बेइज़्ज़ती वाला जवाब देती थी.

वैसे जिस तरह की हरकतें मैने ज़िंदगी भर की थी, उसके बाद तो यही सब होना था मेरे साथ.

मैं आज भी रिक्शा चलता था, लेकिन मुझसे अब ज़्यादा काम नही होता था. अब मुझे अपनी बेटी की शादी की फिकर थी. 3-4 लड़के उसको देखने आए.

उनको लड़की को पसंद आ गयी, लेकिन घर के हालात देख कर सब ने माना कर दिया. इस वजह से मेरी बेटी मुझसे और नफ़रत करने लगी.

फिर एक दिन मैं रिक्शा चला रहा था, तो मैने अपनी बेटी को किसी लड़के के पीछे बिके पर बैठे देखा. वो एक जगह पर खड़े होके कुछ खा रहे थे.

मैने तोड़ा पास जाके देखा तो हैरान रह गया. वो लड़का कभी हमारे घर का नकार था. वो हमारे घर में सफाई करता था, और बर्तन मांजता था.

मुझे ये देख कर बहुत गुस्सा आया. मैं उसी वक़्त उनके सामने जाके खड़ा हो गया. मुझे देख कर वो लड़का दर्र गया, लेकिन मेरी बेटी नही दररी. फिर मैने अपनी बेटी से कहा-

मैं: ये क्या, तुम इस नौकर के साथ क्या कर रही हो?

बेटी: ध्यान से बात करो, ये मेरा लवर है. मैं इससे प्यार करती हू, और शादी करूँगी इससे.

मैं: मैं ना काहु फिर भी?

बेटी: आपसे पूछा किसने है.

मैं: बेटी तू ऐसा क्यूँ कर रही है. मैं किसी आचे घर में शादी करूँगा तेरी. इस नौकर के साथ तेरी ज़िंदगी खराब हो जाएगी.

बेटी: वो तो आपके घर पैदा होते ही हो गयी थी.

मैं: तुझे पता है इसको मैने नौकरी से क्यूँ निकाला था. क्यूंकी उसकी तेरी मा पर गंदी नज़र थी.

बेटी: अब तो आप ऐसी बातें करोगे ही, ताकि मैं उसको छ्चोढ़ डू. चल मोहन (नौकर का नाम) बिके स्टार्ट कर. इस बुड्ढे की बक-बक ख़तम ही नही हो रही.

फिर शाम को जब बेटी घर आई, तो मैने उसको बहुत समझाया. लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार नही थी. मैने उसको फिर भी कह दिया की मैं उसकी शादी उस नौकर के साथ नही होने दूँगा.

उस दिन के बाद थोड़े दिन कुछ भी नही हुआ. फिर एक रात मैं सो रहा था. तभी अचानक थोड़ी आवाज़ सी हुई. उस आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी. मैने अपने कमरे के बाहर जाके देखा तो कुछ नही था. जब मैने बाहर का दरवाज़ा देखा तो वो खुला हुआ था. मुझे लगा कोयल दरवाज़ा बंद करना भूल गयी.

अभी मैं दरवाज़ा बंद करने ही जेया रहा था की मुझे बाहर बिके स्टार्ट होने की आवाज़ आई. मैने जल्दी से बाहर देखा तो कोयल मोहन के साथ भाग रही थी. मैने ज़ोर से उसको आवाज़ दी, लेकिन कोयल ने मोहन को जल्दी से चलने को कहा.

वो बिके पर चले गये, और मैं रिक्शा लेके उनके पीछे भागा. तेज़ बिके चला कर वो मेरी नज़र से ओझल हो गये. लेकिन मुझे मोहन का घर पता था, तो मैं रिक्शा चलते हुए उसके घर तक पहुँच गया. मैने देखा उसकी बिके घर के बाहर ही खड़ी थी.

मैने दरवाज़ा खटखटाया लेकिन किसी ने दरवाज़ा नही खोला. मैं शोर नही मचा सकता था, क्यूंकी इससे मेरी बेटी बदनाम हो जाती. उसके घर की साइड में एक खिड़की थी, जहाँ से उसका कमरा दिखता था. मैं उस खिड़की पर गया, तो वो दोनो उसी कमरे में बैठे थे.

मैने खिड़की से अंदर देखते हुए अपनी बेटी से कहा: बेटी ऐसा मत कर. घर चल, हम बात करते है.

बेटी: मैने जो बात करनी थी कर ली. अब आप जाओ यहाँ से. अपनी बेटी और जमाई के कमरे में ताका-झाँकी करते हुए आपको शरम नही आती?

मैं: बेटी ये सही लड़का नही है.

बेटी: मैं जानती हू कों सही है कों ग़लत.

मोहन मेरी तरफ देख कर हस्स रहा था. मैं जानता था की वो मेरी बेटी से प्यार नही करता था.

फिर कोयल मोहन से बोली: जानू तुम्हे मुझे प्यार करना था ना? आज तुम जो चाहे कर सकते हो. क्यूंकी आज मैं तुम्हारी हू.

ये सुन कर मोहन मेरी बेटी की तरफ बढ़ा.

अपनी बेटी की छूट का भोंसड़ा बनते देखा 2​

 
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